फाइलों से नहीं निकल पाया पुल
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: छह गांवों को जिला मुख्यालय व लालढांग को जोड़ने के लिए रवासन नदी पर प्रस्तावित पुल का निर्माण फाइलों में ही दबा है। बरसात के समय में जब रवासन में उफान आता है तो छह गांवों का संपर्क पूरी तरह से कट जाता है। ऐसा नहीं है कि पुल निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों तथा जनप्रतिनिधियों ने आवाज नहीं उठाई। लेकिन, हरिद्वार मुख्यालय व देहरादून में बैठने वाले अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है।
रसूलपुर मीठीबेरी, पीली पड़ाव सहित छह गांवों का मुख्य बाजार लालढांग है। जिला मुख्यालय में आने के लिए इन गांवों के ग्रामीणों को रवासन नदी को पार कर लालढांग से होते हुए आना पड़ता है। यहां तक कि कक्षा आठ के बाद इन गांवों के ग्रामीणों के बच्चों को पढ़ने के लिए लालढांग आना पड़ता है। लेकिन, बरसात के समय में रवासन नदी उफान पर रहने के कारण ग्रामीणों को बाजार और जिला मुख्यालय तथा बच्चों को स्कूल से संपर्क कट जाता है। हाल ही में 14 अगस्त से लेकर 23 अगस्त इन गांवों के नौनिहाल स्कूल नहीं जा पाए। साथ ही ग्रामीण भी नदी को पार नहीं कर पाए। इसी कारण रवासन नदी पर पुल निर्माण की मांग कई वर्षो से चली आ रही है।
वर्ष 2011 में रवासन नदी पर मीठीबेरी में पुल स्वीकृत हुआ था। इसके लिए शासन की ओर से वर्ष 2013 मार्च में प्रथम किस्त में करीब 35 लाख की धनराशि अवमुक्त की गई। लेकिन , अभी तक लोनिवि ने पुल निर्माण का काम शुरू तक नहीं किया है।
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इन गांवों को होना था फायदा
रसूलपुर मीठीबेरी, मंगोलपुरा, ढढि़यानवाला, आर्य नगर, रसूलपुर गोट, पीली पड़ाव के ग्रामीणों को फायदा मिलना था।
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पुल न होने से ये हो रही दिक्कतें-
-नदी के उफान पर रहने के समय ग्रामीण जरूरी सामान लेने के लिए लालढांग बाजार नहीं आ पाते हैं
-नदी के उफान पर रहने के समय गांव में अचानक बीमार होने पर रोगी को स्वास्थ्य केंद्र में नहीं ला पाते हैं।
-नदी के उफान पर रहने के दौरान कक्षा आठ से आगे की कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल नहीं जा पते हैं।
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रवासन नदी पर पुल निर्माण के लिए डीपीआर हो चुका है। अब जल्द ही निर्माण शुरू किया जाएगा। इससे ग्रामीणों को राहत मिलेगी।
मोहम्मद युनूस, ईई, लोनिवि हरिद्वार