उत्तराखंड में आयुष में दाखिले को युवाओं का टोटा
प्रदेश में बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस के लिए राज्य कोटे की 605 सीट हैं, पर पंजीकरण महज 350 ही हुए हैं। जाहिर है कि प्रथम राउंड में लगभग आधी सीट खाली रहने वाली हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: आयुष प्रदेश में भी बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस के लिए 'काबिल' युवा नहीं मिल रहे। ये विडंबना ही है कि प्रदेश में राज्य कोटे की 605 सीट हैं, पर पंजीकरण महज 350 ही हुए हैं। जाहिर है कि प्रथम राउंड में लगभग आधी सीट खाली रहने वाली हैं। इस स्थिति में विश्वविद्यालय अब न्यूनतम अंकों की अहर्ता में बदलाव करने जा रहा है। यानी प्रवेश परीक्षा में कम अंक वाले भी भविष्य के डॉक्टर हो सकेंगे।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने तीन सितंबर को उत्तराखंड आयुष प्री मेडिकल टेस्ट (यूएपीएमटी) का आयोजन किया था। यूएपीएमटी प्रवेश परीक्षा पास करने वाले युवाओं को अब काउंसिलिंग के जरिये सीटों का आवंटन होना है। विवि ने बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस की राज्य कोटे की 530 सीट के लिए परीक्षा कराई थी, लेकिन बाद में तीन और नए कॉलेजों को मान्यता मिल गई।
ऐसे में अब 605 सीट के लिए काउंसलिंग की जा रही है। जिनके लिए रविवार को छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया। यह संख्या लगभग आधे पर आकर सिमट गई है। विवि के कुलसचिव प्रो. अनूप कुमार गक्खड़ के अनुसार अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम अंक की अहर्ता सामान्य अभ्यर्थी के लिए यह 50 प्रतिशत, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत है। प्रथम चरण में तय अर्ह के अनुरूप उम्मीदवार नहीं मिल पाए हैं। ऐसे में अब इसमें बदलाव किया जाएगा। जल्द ही इस विषय में जानकारी विवि की वेबसाइट पर डाल दी जाएगी।
अब जीरो नंबर पर भी आयुर्वेद में पीजी
देहरादून: केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद में एमडी/एमएस करने के नियम बदल दिए हैं। दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रवेश परीक्षा में अब न्यूनतम अंकों का बंधन नहीं रहेगा। मेरिट के आधार पर छात्रों को ऐडमीशन मिलेगा। ऐसे में प्रवेश परीक्षा में जीरो अंक लाने वाला भी मेरिट के आधार पर दाखिले का हकदार हो गया है।
देशभर के आयुर्वेद कॉलेजों में दाखिले के लिए इस साल से राष्ट्रीय स्तर पर एआइएपीजीईटी (ऑल इंडिया आयुष पोस्टग्रेजुएट इंट्रेंस टेस्ट) शुरू किया गया है। इसमें न्यूनतम अंक की अनिवार्यता हटा दी गई है। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। आयुर्वेद से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा कि निजी कॉलेजों के हित में सरकार ने यह निर्णय लिया है। न्यूनतम अंक वाले उम्मीदवारों के नहीं मिलने से निजी कॉलेजों की सीटें खाली रह जाती थीं।
दूसरी बात यह कि होम्योपैथी में पहले से यह न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता नहीं थी। लिहाजा एकरूपता लाने के लिए ऐसा किया गया। प्रदेश में ऋषिकुल में पीजी की 54 सीट हैं। इसके अलावा गुरुकुल में 13 सीट हैं। इसके अलावा 24 सीट हिमालयी आयुर्वेद कॉलेज व 20 उत्तरांचल आयुर्वेद कॉलेज में हैं।
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