कार्बेट और राजाजी पार्क के बफर जोन से बाहर होंगे गांव, पढ़िए पूरी खबर
कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में मौजूद गांव अब इससे बाहर होंगे। इन्हें अन्यत्र शिफ्ट करने का प्रस्ताव है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में मौजूद गांव अब इससे बाहर होंगे। इन्हें अन्यत्र शिफ्ट करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा दोनों टाइगर रिजर्व के ईको सेंसिटिव जोन की परिधि में आने वाले कुछ गांव भी हटाने की तैयारी है। बफर जोन से गांवों के विस्थापन के मद्देनजर वित्तीय संसाधन जुटाने व भूमि की व्यवस्था को लेकर सरकार और शासन स्तर पर गंभीरता से मंथन शुरू हो गया है। ऐसे में इन गांवों को वन कानूनों की बंदिशों से मुक्ति की आस जगी है।
कार्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन में करीब 46 चक (पुराने गांव व उनके खेत) हैं। पांड, तैडिय़ा, कालाखंड, जमूण, लोहाचौड़, ढेला समेत अन्य चकों में आज भी गांवों के रूप में बसागत है। इन चकों में तीन हजार से अधिक की आबादी रह रही है, लेकिन उन्हें जंगल के कानूनों की बंदिशों से दो-चार होना पड़ रहा है। वे न तो घरों में तेज रोशनी कर सकते हैं और न तेज आवाज में रेडियो ही बजा सकते हैं। वहां मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पसर पा रही हैं।
ऐसी ही स्थिति राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में आने वाली श्यामपुर, लालढांग व कोटद्वार रेंजों के आधा दर्जन गांवों की भी है। इस सबको देखते हुए बफर जोन में रह रहे गांवों के लोग वर्षों से उन्हें अन्यत्र विस्थापित करने की मांग करते आ रहे हैं। कार्बेट के तैडिय़ा, पांड के निवासी तो अर्से से इस सिलसिले में अपनी आवाज हर मंच पर उठाते आ रहे हैं।
यही नहीं, दोनों रिजर्व के चारों ओर घोषित इको सेंसिटिव जोन की परिधि में आने वाले गांवों के बाशिंदे भी परेशान हैं। सेंसिटिव जोन के कड़े प्रावधानों के कारण उन्हें निर्माण कार्य के लिए विभाग की चौखट पर ऐड़ियां रगड़ने को बाध्य होना पड़ रहा है। वे भी सेंसिटिव जोन से मुक्ति चाहते हैं।
लंबेे इंतजार के बाद अब इन मसलों में ग्रामीणों की साध पूरी होने की आस जगी है। दोनों टाइगर रिजर्व के बफर जोन से सभी गांव हटाने और ईको सेंसिटिव जोन से कुछ गांव बाहर करने की तैयारी है। वन विभाग की ओर से बफर जोन से गांवों को हटाने के मदेनजर शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि इन गांवों को सुविधाएं न दे पाने को देखते हुए इन्हें अन्यत्र शिफ्ट किया जाना चाहिए।
अब इसे लेकर सरकार और शासन गंभीर हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि विस्थापन के मद्देनजर वित्तीय संसाधन जुटाने व भूमि की व्यवस्था के बारे में गहनता से मंथन चल रहा है। कोशिश ये है कि एक-एक करके गांवों को बफर जोन से बाहर शिफ्ट किया जाए।
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डॉ.हरक सिंह रावत (वन मंत्री उत्तराखंड) का कहना है कि दोनों टाइगर रिजर्व के बफर जोन से गांवों को हटाने के साथ ही कुछ गांवों को ईको सेंसिटिव जोन से बाहर करने के मद्देनजर अधिकारियों को सभी पहलुओं की पड़ताल कर मसौदा तैयार करने को कहा गया है। फिर इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
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