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राष्ट्रीय राजमार्ग-74 मुआवजा घोटाले की होगी सीबीआइ जांच

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एचएच घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की घोषणा की है। साथ ही इससे संबंधित छह अधिकारियों को निलंबति कर दिया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 07:45 PM (IST)Updated: Sun, 26 Mar 2017 06:08 AM (IST)
राष्ट्रीय राजमार्ग-74 मुआवजा घोटाले की होगी सीबीआइ जांच
राष्ट्रीय राजमार्ग-74 मुआवजा घोटाले की होगी सीबीआइ जांच
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उधमसिंह नगर के राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहण की गई भूमि में भारी घोटाला पाया गया है। अभी तक की गई प्रारंभिक जांच में इस मामले में 240 करोड़ का घोटाला पकड़ा गया है। कई मामलों में लाभार्थियों को नियत से 20 गुना अधिक मुआवजा दिया गया है। 
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए सात अधिकारियों में से छह को निलंबित कर दिया गया है। इन पर अलग से प्रशासनिक कार्रवाई होगी। सातवें अधिकारी के सेवानिवृत होने के कारण इस पर विधिक राय लेकर कार्रवाई की तैयारी है। निलंबित होने वाले अधिकारियों में चार उप जिलाधिकारी और दो तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलओ) शामिल हैं। 
शनिवार को सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्य मंत्री त्रिवेंद्र रावत  ने कहा कि जसपुर, काशीपुर, बाजपुर व सितारगंज तहसील क्षेत्र से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को फोर लेन बनाया जा रहा है। इसके लिए भूमि के अधिग्रहण में दिए जाने वाले मुआवजे में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं। मामले की जांच आयुक्त कुमाऊं डी सेंथिल पांडियन ने की। 
उन्होंने इसकी रिपोर्ट शासन में सौंप दी है। रिपोर्ट में यह बात आई है कि पूरे प्रकरण में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के साथ ही इसमें भू-परिवर्तन का घोर उल्लंघन किया गया है। अभी तक 18 मामलों की रिपोर्ट आ चुकी हैं। इनमें 170 करोड़ का घपला सामने आया है। जांच के अन्य मामलों में अभी तक 70 करोड़ की अनियमितता सामने आई हैं। इस तरह अभी तक 240 करोड़ का घोटाला किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि जांच में यह बात सामने आई है कि संगठित तरीके से तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों ने नियम कायदों को दरकिनार करते हुए कृषि भूमि को अकृषि दिखाते हुए लाभार्थियों को मुआवजा दिया। स्थिति यह रही कि जिस भूमि को वर्ष 2011 में अकृषि दिखाया गया, उसी भूमि की खसरा खतौनी में वर्ष 2015 कृषि दर्शाया गया है। यहां तक कि इसमें फसलों की पैदावार तक होना दर्शाया गया है। 
इसके बाद इसका भू- उपयोग परिवर्तित किया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआइ से कराने का निर्णय लिया गया है। मामले की सीबीआइ जांच की संस्तुति करते हुए पत्र केंद्र को भेज दिया गया है। इसके साथ ही इसमें अभी तक मामले में चल रही पुलिस और एसआइटी जांच अब रोक दी गई है।
 इनकी सारी रिपोर्ट सीबीआइ को हस्तांतरित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि मामले में अभी तक राजनीतिक हस्तक्षेप की बात सामने नहीं आई है लेकिन सीबीआइ जांच में सब साफ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में शामिल सभी विभागों, अधिकारियों, कर्मचारियों व लाभार्थियों का परीक्षण कराया जाएगा। 
ये विभाग हैं शामिल
जसपुर, बाजपुर, काशीपुर व सितारगंज की तहसील, सब डिवीजन कार्यालय, चकबंदी, भूमि अध्याप्ति कार्यालय, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, सब रजिस्ट्रार कार्यालय इत्यादि।
ये अधिकारी पाए गए दोषी
-दिनेश प्रताप सिंह, तत्कालीन एसएलओ
- अनिल कुमार शुक्ला, तत्कालीन एसएलओ
- सुरेंद्र सिंह जंगपांगी, तत्कालीन एसडीएम
- जगदीश लाल, तत्कालीन एसडीएम
- भगत सिंह फोनिया, तत्कालीन एसडीएम
- एनएस नगन्याल, तत्कालीन एसडीएम
- एचएस मार्तोलिया, सेवानिवृत, एसडीएम

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