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एनसीआरबी की रिपोर्ट, आत्महत्या वृद्धि दर में उत्तराखंड में सबसे तेज

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में आत्महत्या वृद्धि दर देश में सर्वाधिक है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 10:57 AM (IST)Updated: Tue, 28 Feb 2017 07:30 AM (IST)
एनसीआरबी की रिपोर्ट, आत्महत्या वृद्धि दर में उत्तराखंड में सबसे तेज
एनसीआरबी की रिपोर्ट, आत्महत्या वृद्धि दर में उत्तराखंड में सबसे तेज

देहरादून, [अनिल उपाध्याय]: उत्तराखंड में आत्महत्या वृद्धि दर देश में सर्वाधिक है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों पर भरोसा करें तो राज्य में सालाना 129.50 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई। चौंकाने वाली बात यह है कि जान देने वालों में बड़ी तादाद 14 से 30 वर्ष की आयु वालों की है।

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 आत्महत्या करने वालों की तादाद के मामले में महाराष्ट्र (16,970), तमिलनाडु (15,777) और पश्चिम बंगाल (14,602) देश में पहले तीन स्थानों पर हैं। वहीं, अगर इसमें वृद्धि की बात करें तो उत्तराखंड के बाद मेघालय (73.7 फीसद) दूसरे और नागालैंड (61.5फीसद) तीसरे स्थान पर है। उत्तराखंड में वर्ष 2015 में कुल 475 मामले सामने आए। इनमें 346 पुरुष और 129 महिलाएं शामिल थीं। जबकि 14 से 30 वर्ष के कुल 202 लोगों ने मौत को गले लगाया। इनमें 132 पुरुष और 70 महिलाएं शामिल थीं। 

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मनौवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा के अनुसार  युवाओं में जूझारू प्रवृत्ति कम हो रही है। वे मामूली दबाव भी नहीं झेल पाते हैं।  बदलते सामाजिक मूल्यों और टूटते संयुक्त परिवारों की वजह से आपसी संवाद कम हो रहा है। ऐसे में तनाव या दबाव की स्थिति में नैतिक, मानसिक या आर्थिक समर्थन नहीं मिल पाता जो पहले संयुक्त परिवारों में मिलता था। यह आत्महत्या की एक प्रमुख वजह है।

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