उत्तराखंड सीएम हरीश रावत बोले, सत्ता में लौटा तो बनेगा बिजली अधिकार कानून
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि अगर वे विधानसभा चुनाव के बाद दोबारा सीएम बनते हैं तो बिजली अधिकार कानून लाएंगे।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत पहुंचे तो देहरादून ऊर्जा कामगार संगठन के वार्षिक अधिवेशन में, लेकिन वह अपने संबोधन में उपभोक्ताओं के दिल छूने की कोशिश करते रहे। ऐसा नहीं कि कर्मचारियों की समस्याओं पर उन्होंने कुछ न कहा हो, लेकिन सीएम का केंद्र उपभोक्ता ही रहे। बोले 'सत्ता में लौटा तो बिजली अधिकार कानून बनेगा।
जिन लोगों को बिजली नहीं मिलेगी उन्हें मुआवजा मिलेगा।' हुंकार भरी कि 'मजबूरी वाली बिजली चोरी नहीं असल चोरी पकड़िए। मेरे ग्रह नक्षत्र ठीक चल रहे हैं। जिनको रहना है, काम करना ही पड़ेगा।'
देहरादून स्थित यमुना कॉलोनी स्थित ऑफीसर्स क्लब में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पूरी रौ में थे। बोले, मुझे गुस्सा कम आता है तो लोग समझते थे मुझे सीएम के अधिकार नहीं पता।
हालांकि मैंने एक दो बार संकेत दे दिए कि मुझे अपने अधिकार बखूबी पता हैं। वह यहीं पर नहीं रुके अधिकारियों को ताकीद कि आप और हम सभी जानते हैं कि उद्योगों में बिजली चोरी होती है तो गरीब जनता से ध्यान हटा उद्योगों पर फोकस करें।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं की समस्याओं के निदान के लिए बिजली अदालत लगाई जाएं। शहरी क्षेत्र की समस्याओं के समाधान में भले ही विलंब हो जाए, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
इस दौरान उन्होंने कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर शीघ्र कार्यवाही का भरोसा दिया। ऊर्जा के तीनों निगम प्रबंधनों को निर्देश दिए कि अपने स्तर पर कर्मचारियों की समस्याओं के निदान के लिए तेजी से काम किया जाए।
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लाइन शिफ्टिंग में ज्यादा खर्च
इस मौके पर उपस्थित डोईवाला विधायक हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि ऊर्जा निगम हाईटेंशन लाइनों और पोल को शिफ्ट कर रहा है। इसमें काफी खर्च आ रहा है। विधायक निधि से खासा पैसा खर्च हुआ है, जबकि लाइन और पोल वही हैं। इसमें सिर्फ मजदूरी का खर्च ही आना चाहिए। अधिकारी देखें की कोई गड़बड़ी तो नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि स्वयं सहायता समूहों के बूते ऊर्जा निगम चल रहा है और समूहों के कर्मचारियों को अल्प मानदेय मिलता है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊर्जा निगमों में कार्यरत स्वयं सहायता समूहों के बेहतर भविष्य के लिए नीति बनाई जाएगी।
प्रमुख मांगें
-छठे वेतन आयोग की विसंगतियां दूर कर सातवें वेतन आयोग की सिफारिश शीघ्र लागू की जाएं।
-नॉन फंक्शनल ग्रेड वेतन को एक अप्रैल 2009 से समाप्त किया जाए।
-30 सितंबर, 2005 तक सेवा में आए कार्मिकों को जीपीएफ पेंशन स्कीम का लाभ मिले।
-अवर अभियंता की तरह सभी कार्मिकों को 4600 ग्रेड वेतन दिया जाए।
-तीनों निगमों को हुए मुनाफे में से कर्मचारियों को दीपावली से पहले लाभांश दिया जाए।
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