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उत्तराखंड में पहली बार खिला ट्यूलिप

यूरोप की मिल्कियत कहा जाने वाले ट्यूलिप का फूल अब उत्तराखंड में भी छटा बिखेरेगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 03:00 AM (IST)
उत्तराखंड में पहली बार खिला ट्यूलिप
उत्तराखंड में पहली बार खिला ट्यूलिप

- वन विभाग की रिसर्च विंग को हल्द्वानी और मुनस्यारी में इसे उगाने में मिली सफलता

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- जम्मू-कश्मीर के बाद उत्तराखंड ऐसा दूसरा राज्य बना, जहा खिला यूरोप का यह फूल

- हल्द्वानी में खिले पाच रंग के फूल,अब वहा ट्यूलिप गार्डन बनाने की विभाग की तैयारी

- वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी ने खुद के खर्चे पर मंगाए थे ट्यूलिप वल्ब

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केदार दत्त, देहरादून:

यूरोप की मिल्कियत कहा जाने वाले ट्यूलिप का फूल अब उत्तराखंड में भी छटा बिखेरेगा। वन विभाग की रिसर्च विंग की ओर से इस सिलसिले में हल्द्वानी और मुनस्यारी में किया गया प्रयोग सफल रहा है। हल्द्वानी में ट्यूलिप पर पाच रंग के फूल खिले हैं। 1500 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाने वाले इस फूल के हल्द्वानी जैसे अपेक्षाकृत गर्म वातावरण वाले स्थान में खिलने से वन महकमा खासा उत्साहित है और उसने अब वहा ट़यूलिप गार्डन बनाने की योजना बनाई है, ताकि यह यूरोप की भाति पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सके। वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी कहते हैं कि देश में केवल जम्मू-कश्मीर में ही ट्यूलिप पाया जाता था, लेकिन अब उत्तराखंड में भी इसका प्रयोग सफल रहा है और वह इसे उगाने वाला दूसरा राज्य बन गया है।

आमतौर पर वसंत ऋतु में यूरोप के देशों में ट्यूलिप बडे पैमाने पर खिलता है और वहा बाकायदा ट्यूलिप फेस्टिवल का आयोजन होता है, जिसमें दुनियाभर के पर्यटक इसके रंग बिरंगे मनमोहक फूलों का दीदार करने पहुंचते हैं। भारत में जम्मू-कश्मीर में भी यह खिलता है और कश्मीर में ट़यूलिप गार्डन भी है। हालाकि, कश्मीर की भाति उत्तराखंड के कुमाऊं तक के हिमालयी क्षेत्र में ट्यूलिप के लिए मुफीद वातावरण है, मगर इसे उगाने के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं हुए। इसे देखते हुए वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी ने ट्यूलिप को राज्य में उगाने का निश्चय किया और इस प्रयोग के सफल नतीजे भी सामने आए हैं।

वन संरक्षक चतुर्वेदी बताते हैं कि उन्होंने पिछले वर्ष दिल्ली सरकार की एक एजेंसी के माध्यम से नीदरलैंड से ट्यूलिप के करीब 300 बल्व मंगवाए। इसके बाद नवंबर में इन्हें अनुसंधान वृत्त की मुनस्यारी और हल्द्वानी नर्सरियों में बोया गया। दोनों ही जगह अंकुरण 90 फीसद रहा। उन्होंने बताया कि ट्यूलिप अमूमन वसंत में खिलता है, लेकिन हल्द्वानी की नर्सरी में यह खिलने लगा है और वहा पीले, सफेद, जामुनी, लाल धारीदार व हल्के केसरिया रंग के फूल खिले हैं। अलबत्ता, मुनस्यारी में अभी फूल नहीं खिले हैं। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी जैसे गर्म वातावरण वाले स्थान पर ट़यूलिप के खिलने से नई उम्मीदें जगी हैं।

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हल्द्वानी और मुनस्यारी में बनेंगे ट्यूलिप गार्डन

आइएफएस चतुर्वेदी के अनुसार ट्यूलिप का प्रयोग सफल रहने पर अब हल्द्वानी और मुनस्यारी में छोटे-छोटे स्तर के दो ट्यूलिप गार्डन तैयार किए जाएंगे। इसके बाद अनुसंधान सलाहकार समिति से अनुमोदन लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ट्यूलिप गार्डन तैयार होने पर यह सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बनेंगे। धीरे-धीरे इस पहल को राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी ले जाया जाएगा, ताकि यह पर्यटन के लिहाज से अहम साबित हो सके।

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खर्च भी बना नजीर

ट्य लिप को उत्तराखंड में पनपाने के लिए किए गए प्रयोग पर आया खर्च भी एक नजीर बना है। बजट के लिए किसी प्रकार की सरकारी इमदाद नहीं ली गई, बल्कि यह आइएफएस संजीव चतुर्वेदी के व्यक्तिगत प्रयासों का नतीजा है। वह बताते हैं कि इस पहल में महज छह-सात हजार रुपये का खर्च आया।

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