मंत्रालय की सुस्ती से लटका पर्यटन
राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई अहम योजनाओं को केंद्र सरकार से
राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई अहम योजनाओं को केंद्र सरकार से वित्तीय मदद तो मिल रही है, मगर पर्यटन मंत्रालय की सुस्त रफ्तार की वजह से ये योजनाएं समय रहते धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं। राज्य के कई प्रमुख पर्यटक स्थलों को टूरिज्म सर्किट व मेगा सर्किट के रूप में विकसित करने वाली अधिकतर योजनाएं अब तक पूर्ण नहीं हो पाई हैं। नतीजा यह कि राज्य में पर्यटन विकास की दिशा में फिलहाल इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा।
नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में पर्यटन और तीर्थाटन का अहम योगदान है। पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए ही राज्य गठन के समय से ही उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने के दावे किए जाते रहे हैं, मगर इन दावों को हकीकत में बदलने के मोर्चे पर खुद राज्य का पर्यटन मंत्रालय ही सुस्त व उदासीन बना नजर आ रहा है। राज्य में मंजूरी बड़े रोपवे प्रोजेक्ट में तंत्र की उदासीनता किसी से छिपी नहीं है। यही नहीं कई प्रमुख पर्यटक स्थलों को टूरिज्म सर्किट व मेगा सर्किट के तौर पर विकसित करने की योजनाएं भी सुस्त गति से आगे बढ़ रही हैं।
आलम यह है कि केंद्रीय वित्त पोषित ऐसी दस में से सिर्फ तीन योजनाएं ही अब तक जमीन पर उतर सकी हैं। करीब 75 करोड़ की शेष सात योजनाओं पर अब भी कछुआ गति से काम चल रहा है। हैरत यह है कि इनमें से कई टूरिज्म सर्किट या इको-टूरिज्म सर्किट की योजनाएं वर्ष 2010-11 में प्रारंभ कर दी गई थी, मगर करीब चार साल गुजरने के बाद भी इन योजनाओं का काम पूरा नहीं हो सका है।
इनसेट..
-अधूरी टूरिज्म सर्किट योजनाएं..
योजना लागत
अल्मोड़ा-जागेश्वर-कटारमल 490.80
हरिपुरा-नानकसागर 689.53
पुरोला-नैटवाड़-हरकीदून 700.00
बैक वाटर टिहरी झील 496.74
टिहरी झील मेगा सर्किट 3597.86
शाबिर दरगाह कलियर 798.92
बागेश्वर-बैजनाथ-लोहरखेत 800.00
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कुल 7573.85
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-इन योजनाओं पर काम पूरा..
पंचप्रयाग टूरिज्म सर्किट 772.76
भवाली-रामगढ़-भीमताल 800.00
रामगंगा घाटी-कौसानी रेंज 743.98
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कुल 2316.74
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