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जेईई एडवांस परीक्षा में हुए इन बदलाव से छात्रों को मिलेगी राहत, जानिए

जेईई एडवांस परीक्षा इस बार 21 मई 2017 में इस बार परीक्षा में कई अहम बदलाव किए गए हैं। इस बार अंक सुधार परीक्षा के मानक भी शिथिल किए गए हैं।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 09:26 AM (IST)Updated: Sun, 23 Oct 2016 05:00 AM (IST)
जेईई एडवांस परीक्षा में हुए इन बदलाव से छात्रों को मिलेगी राहत, जानिए

देहरादून, [जेएनएन]: बीते वर्ष 12वीं कक्षा में 75 फीसद अंक लाने या अपने बोर्ड के टॉप-20 परसेंटाइल में आने से चूक गए छात्रों के लिए अच्छी खबर है। अबकी बार जेईई एडवांस में शामिल होने के लिए अब ऐसे छात्रों को पांचों विषयों की अंक सुधार परीक्षा देने के बजाय एक विषय की परीक्षा देने पर भी जेईई एडवांस में शामिल होने का मौका मिलेगा।
देशभर के आइआइटी और अन्य प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली जेईई एडवांस परीक्षा इस बार 21 मई 2017 को होगी। इस बार परीक्षा में कई अहम बदलाव किए गए हैं। इनमें सबसे बड़ा बदलाव छात्र संख्या को दो लाख से बढ़ाकर 2.20 लाख किया गया, वहीं इस बार अंक सुधार परीक्षा के मानक भी शिथिल किए गए हैं।

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आइआइटी में प्रवेश पाने की कोशिश कर रहे छात्रों के लिए अच्छी खबर है। जेईई एडवांस का जिम्मा संभाल रही आइआइटी मद्रास ने बीते वर्ष 12वीं कक्षा में कुछ अंकों के कारण मौका गंवाने वाले छात्रों को राहत दी है।
दरअसल, जेईई एडवांस में शामिल होने के लिए छात्रों को 12वीं कक्षा में बोर्ड द्वारा जारी टॉप 20 परसेंटाइल या फिर कम से कम 75 फीसद अंक प्राप्त करने का मानक पूरा करना होता है। लेकिन, कई बार छात्र किसी एक विषय में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने के कारण तय मानक तक नहीं पहुंच पाते।

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ऐसे छात्र आगामी सत्र में अंक सुधार परीक्षा देकर अपने अंक सुधार सकते और जेईई एडवांस में शामिल हो सकते हैं। अभी तक छात्रों को सभी पांच विषयों में अंक सुधार परीक्षा देनी पड़ती थी। नए मानकों के बाद छात्र केवल उसी एक विषय की परीक्षा दे सकते हैं, जिसमें अंक कम थे। आइआइटी मद्रास ने हाल में यह जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की है।
वीआर क्लासेज के प्रबंध निदेशक वैभव राय के मुताबिक जो छात्र वर्ष 2016 में न्यूनतम अंकों के मानक पूरे नहीं कर पाए रहे थे, वे 2017 की अंक सुधार परीक्षा में एक विषय के साथ शामिल हो सकते हैं। इन छात्रों को अब दोबारा पांचों विषयों की परीक्षा का दबाव नहीं झेलना पड़ेगा। इस फैसले से छात्रों को काफी लाभ मिलेगा।
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