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उत्तराखंड में एक अप्रैल से 'सुरक्षित हिमालय'

पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के तत्वावधान में इन क्षेत्रों में एक अप्रैल से 'सुरक्षित हिमालय' परियोजना की शुरुआत की जा रही है।

By Gaurav KalaEdited By: Published: Sun, 19 Feb 2017 01:30 PM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 06:35 AM (IST)
उत्तराखंड में एक अप्रैल से 'सुरक्षित हिमालय'
उत्तराखंड में एक अप्रैल से 'सुरक्षित हिमालय'

देहरादून, [केदार दत्त]: चीन सीमा से सटे गंगोत्री से लेकर अस्कोट तक के उच्च हिमालयी क्षेत्र में भूमि एवं वनों का उचित प्रबंधन तो होगा ही, यहां की जैवविविधता के साथ ही स्थानीय समुदायों की आजीविका भी महफूज रहेगी।

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पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के तत्वावधान में इन क्षेत्रों में एक अप्रैल से 'सुरक्षित हिमालय' परियोजना की शुरुआत की जा रही है। इस कड़ी में इन दिनों सुरक्षा, आजीविका और वासस्थल विकास के मद्देनजर एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। योजना के क्रियान्वित होने से जहां इन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं का संरक्षण होगा, वहीं इनसे लगे लगभग 60 गांवों के लोगों को लाभ मिलेगा।

असल में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और यूएनडीपी देश के चार राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में 'सुरक्षित हिमालय' परियोजना शुरू करने जा रहा है।

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इसमें उत्तराखंड के गंगोत्री नेशनल पार्क, गोविंद वन्यजीव विहार एवं अस्कोट अभयारण्य को शामिल किया गया है। ये वे इलाके हैं, जो हिम तेंदुओं के साथ ही जैव विविधता के लिए मशहूर हैं। लेकिन, इन संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत और इनसे लगे गांवों के लोगों को दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है।

इस लिहाज से देखें तो गोविंद वन्यजीव विहार के 43 और अस्कोट अभयारण्य के लगभग 17 गांव संरक्षित क्षेत्र की दुश्वारियों से दो-चार हो रहे हैं। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि गोविंद वन्यजीव विहार के अंतर्गत आने वाले 43 में 35 गांवों में अभी तक सड़क नहीं पहुंच पाई है।

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अन्य सुविधाओं की राह में भी वन कानूनों की बंदिशें रोड़ा बनी है। पर, अब यह बात नीति नियंताओं की समझ में आ गई है कि जब लोगों के हित सुरक्षित होंगे तभी हिमालय भी महफूज हो सकेगा।

सुरक्षित हिमालय परियोजना इसी कड़ी का हिस्सा है। अपर प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन बताते हैं कि एक अपै्रल से शुरू होने वाली इस परियोजना के मुख्य रूप से तीन बिंदु हैं। इसके तहत इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में जैव विविधता की सुरक्षा, हिम तेंदुआ समेत अन्य वन्यजीवों के लिए वासस्थल विकास और इन संरक्षित क्षेत्रों से लगे गांवों के लोगों की आजीविका विकास के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। कोशिश ये है कि इस सुदूर क्षेत्र के लोगों को विकास की मुख्यधारा में जोड़ने के साथ ही हिमालयी क्षेत्र के संरक्षण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

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आजीविका विकास के मुख्य कार्य

-इको टूरिज्म पर होगा विशेष फोकस

-जड़ी-बूटी व फलोत्पादन पर जोर

-ग्रामीणों को रोजगारपरक प्रशिक्षण

-उत्पादों के विपणन की व्यवस्था

-सेब की बेहतर प्रजातियों का वितरण

-पशुओं के लिए चारा विकास योजना

-स्वास्थ्य व शिक्षा की व्यवस्था

-क्षेत्र में पारंपरिक भवनों को बढ़ावा

हिम तेंदुओं का भी संरक्षण

गंगोत्री नेशनल पार्क के साथ ही गोविंद वन्यजीव विहार और अस्कोट अभयारण्य हिम तेंदुओं के लिए भी प्रसिद्ध हैं। इन क्षेत्रों में लगे कैमरा ट्रैप में अक्सर हिम तेंदुओं की तस्वीरें कैद होने से इनकी प्रमाणिकता सिद्ध होती रही है। सुरक्षित हिमालय परियोजना में हिम तेंदुओं के संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए एक्शन प्लान पर कार्य चल रहा है।

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