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जलाशयों के निर्माण में धांधली, सूख रहा सरकार का हलक

हल्द्वानी में बने जलाशयों ने राज्य सरकार का हलक सूखने को मजबूर कर दिया। यहां जलाशयों के निर्माण में धांधली हुर्इ। जिससे सरकार लाखों का पानी खरीद स्थानीय आबादी को पिला रही है।

By raksha.panthariEdited By: Published: Fri, 22 Sep 2017 02:40 PM (IST)Updated: Fri, 22 Sep 2017 10:28 PM (IST)
जलाशयों के निर्माण में धांधली, सूख रहा सरकार का हलक
जलाशयों के निर्माण में धांधली, सूख रहा सरकार का हलक

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: जनता की प्यास बुझाने के लिए बनाए गए जलाशय स्थानीय जनता और सरकार दोनों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। जी हां, हल्द्वानी में गुणवत्ता ताक पर रख कर बनाए गए जलाशयों ने सरकार का ही हलक सूखने को मजबूर कर दिया है। इस वजह से सरकार को लाखों रुपये का पानी खरीद कर स्थानीय आबादी को पिलाना पड़ रहा है। जिलाधिकारी नैनीताल की प्रारंभिक जांच में हल्द्वानी में लाखों रुपये की लागत से बने जलाशयों के निर्माण में धांधली की पुष्टि हुई है। इससे खफा सरकार ने कार्यदायी संस्था उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम (यूयूएसडीआइपी) के परियोजना प्रबंधक व तकनीकी अधिकारी समेत अन्य दोषी पाए गए कार्मिकों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार करने के निर्देश कार्यक्रम निदेशक को दिए हैं। निदेशक को हफ्तेभर में उक्त प्रकरण की जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया है।   

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सरकार ने नगर निगम हल्द्वानी के अंतर्गत ओवरहैड टैंक के निर्माण कार्यों की खराब गुणवत्ता पर सख्त रुख अपनाया है। दरअसल जिलाधिकारी नैनीताल की ओर से कराई गई प्रारंभिक जांच में ओवरहैड टैंक के निर्माण की गुणवत्ता पर अंगुली उठाते हुए उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम (यूयूएसडीआइपी) के परियोजना प्रबंधक व तकनीकी अधिकारी समेत अन्य कार्मिकों को दोषी पाया गया है।

जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में बताया गया कि हल्द्वानी नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत एडीबी पोषित और यूयूएसडीआइपी निर्मित जलाशयों में भंडारण के लिए जल नहीं होने और गुणवत्ता के अभाव में जलाशयों में सीपेज एवं लीकेज की शिकायत प्रमुखता से की गई। लेकिन, इसके बाद बावजूद कार्यदायी संस्था यूयूएसडीआइपी के परियोजना प्रबंधक ने किसी भी जलाशय का खुद मुआयना करने की जरूरत नहीं समझी। जिलाधिकारी ने इसे विभाग की जनहित के कार्य के प्रति उदासीनता और दायित्व से बचने मात्र का प्रयास करार दिया है। 

जिलाधिकारी की रिपोर्ट मिलने के बाद शहरी विकास सचिव राधिका झा ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए चिह्नित अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर शासन के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करने के निर्देश कार्यक्रम निदेशक बीएस मनराल को दिए हैं। उन्होंने कार्यक्रम निदेशक को एक हफ्ते के भीतर प्रकरण की जांच कर शासन को रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए हैं। 

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