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अटल आयुष्मान योजना के फर्जीवाड़े में पांच अस्पतालों को अभयदान

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के फर्जीवाड़े से जुड़े काशीपुर के पांच निजी अस्पतालों को सरकार ने अभयदान दे दिया है। इनके खिलाफ अब विधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 12:26 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 12:26 PM (IST)
अटल आयुष्मान योजना के फर्जीवाड़े में पांच अस्पतालों को अभयदान
अटल आयुष्मान योजना के फर्जीवाड़े में पांच अस्पतालों को अभयदान

देहरादून, जेएनएन। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के फर्जीवाड़े से जुड़े काशीपुर के पांच निजी अस्पतालों को सरकार ने अभयदान दे दिया है। इनके खिलाफ अब विधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी। 

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योजना के अध्यक्ष डीके कोटिया ने पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था को पत्र भेज कहा है कि इन अस्पतालों के खिलाफ एफआइआर न दर्ज की जाए। कारण बताया कि इनसे पूरा अर्थदंड वसूल कर लिया गया है।

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में क्लेम को लेकर फर्जीवाड़ा करने के मामलों में राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने अब तक 14 अस्पतालों पर कार्रवाई की है। इनमें 13 की सूचीबद्धता समाप्त कर उन पर पैनाल्टी लगाई गई है। जबकि एक पर सिर्फ अर्थदंड लगाया गया है। 

जानकारी के अनुसार अस्पतालों पर कुल दो करोड़ 36 लाख रुपये की पैनाल्टी लगाई गई है। जिनमें 11 अस्पतालों ने दो करोड़ 18 लाख जमा भी कर दिए हैं। क्योंकि मामला फर्जीवाड़े से जुड़ा था अस्पतालों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के भी निर्देश दिए गए थे। 

इनमें कुछ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज भी की जा चुकी है। इस बीच राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने काशीपुर के पांच अस्पतालों को राहत दे दी है। इनके खिलाफ एफआइआर दर्ज न करने का फैसला लिया है। इसका पत्र भी पुलिस मुख्यालय को भेज दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि संबंधित थानाध्यक्षों को प्रथम सूचना प्रतिवेदन को दर्ज न करने और कोई भी विधिक कार्रवाई न करने के निर्देश दिए जाएं।

इन अस्पतालों को राहत 

नाम---------------------------जमा की गई पैनाल्टी

आस्था हॉस्पिटल----------------168200

कृशन हॉस्पिटल-----------------167400

अली नर्सिंग होम----------------478800

देवकी नंदन हॉस्पिटल----------324550

एमपी मेमोरियल---------------1852700

एफआइआर दर्ज न करने का फैसला 

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अध्यक्ष डीके कोटिया के मुताबिक, इन अस्पताल की सूचीबद्धता हम समाप्त कर चुके हैं। वहीं पैनाल्टी भी इन्होंने जमा कर दी है। कोर्ट केस में अपना वक्त व ऊर्जा जाया करने के बजाय हम योजना पर फोकस करना चाहते हैं। इसलिए उक्त अस्पतालों के खिलाफ एफआइआर दर्ज न कराने का फैसला लिया गया।

मेहनत जाया, रद्दी हुई सबसे लंबी एफआइआर

राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने अस्पतालों पर तो रहमदिली दिखा दी, पर इस बात का जरा भी ख्याल नहीं किया कि एफआइआर लिखने में पुलिस का कितना वक्त जाया हुआ। अस्पतालों को अभयदान मिलने के साथ ही पुलिस की कई दिन की मेहनत भी जाया हो गई है। 

बता दें, उत्तराखंड की काशीपुर कोतवाली के इतिहास में पहली बार सबसे बड़ी एफआइआर लिखी गई थी। इसे लिखने में एक सप्ताह का वक्त लग गया। अटल आयुष्मान घोटाले में दो अस्पतालों के खिलाफ दर्ज की गई यह एफआइआर पुलिस के लिए सिरदर्द बन गई थी। 

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हिंदी और अंग्रेजी भाषा की इन एफआइआर को लिखने में मुहर्रिरो के भी पसीने छूट गए थे। एमपी अस्पताल व देवकी नंदन अस्पताल के खिलाफ यह मुकदमा लिखा गया था। अब एकाएक एफआइआर दर्ज न करने के फरमान से सारी मेहनत पर पानी फिर गया है।

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