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सरकारी कर्मचारियों को तोहफा, अब जीपीएफ से झटपट और ज्यादा धन

सरकारी कर्मचारियों को अब जीपीएफ का पैसा निकालने में दिक्कतें पेश नहीं आएंगी। राज्य सरकार ने उत्तराखंड सामान्य भविष्य निधि (संशोधन) नियमावली की अधिसूचना जारी कर दी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 27 May 2017 12:20 PM (IST)Updated: Sun, 28 May 2017 05:04 AM (IST)
सरकारी कर्मचारियों को तोहफा, अब जीपीएफ से झटपट और ज्यादा धन
सरकारी कर्मचारियों को तोहफा, अब जीपीएफ से झटपट और ज्यादा धन

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को अब सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) का पैसा निकालने में दिक्कतें पेश नहीं आएंगी। साथ में वे अपने और आश्रितों की शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम जरूरी कार्यों के लिए जीपीएफ से ज्यादा धनराशि ले सकेंगे। राज्य सरकार ने उत्तराखंड सामान्य भविष्य निधि (संशोधन) नियमावली की अधिसूचना शुक्रवार को जारी कर दी।

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सरकार ने अपने कार्मिकों को तोहफा थमा दिया है। मंत्रिमंडल ने बीती 11 मई को जीपीएफ की नियमावली को ज्यादा सरल बनाते हुए संशोधनों को मंजूरी दी थी। वित्त प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी की ओर से जारी संशोधित नियमावली की अधिसूचना के मुताबिक सरकारी कार्मिकों के आश्रितों में अविवाहित भाई-बहन के साथ माता व पिता को शामिल किया गया है। 

सरकारी कर्मचारियों को अपने बच्चों के साथ ही आश्रित सदस्यों की पढ़ाई, धार्मिक कार्यों, भवन मरम्मत या नया भवन, भूमि या फ्लैट के लिए जीपीएफ से धन उपलब्ध होगा। जीपीएफ से धनराशि 12 साल के बजाए 10 साल में निकाली जा सकेगी। नए भवन, भूमि खरीद के लिए 15 साल के बजाए 12 साल में धनराशि उपलब्ध हो जाएगी। जीपीएफ से छह महीने के वेतन के बराबर राशि अथवा जीपीएफ में जमा धनराशि का 50 फीसद निकाला जा सकेगा। 

जीपीएफ नियमावली के प्रमुख बिंदु: 

-कार्मिक अब छह माह का वेतन या जीपीएफ में जमा 50 फीसद धनराशि निकाल सकेंगे, पहले तीन माह का वेतन निकालने का प्रावधान था।

-पहले जीपीएफ से धनराशि निकालने को न्यूनतम 12 वर्ष की सेवा आवश्यक थी, इसे घटाकर दस वर्ष किया गया।

-कार्मिक अपनी या आश्रित परिवार के सदस्य की उच्चतर शिक्षा को जीपीएफ निकाल सकेंगे

-15 वर्ष की सेवा के बजाए दस वर्ष की सेवा पर दोपहिया या चौपहिया वाहन अथवा कंप्यूटर लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण अथवा से पहले से लिए गए अग्रिम के प्रतिदान को धन निकाल सकेंगे। 

-भूमि, भवन, फ्लैट की खरीद या पैतृक गृह अथवा स्वयं के मकान बनाने और मरम्मत और पुनरुद्धार।

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