देहरादून जेल में डॉक्टर नहीं, कैदी करते हैं बीमारी पर उपचार
जिले का सुद्धोवाला जिला कारागार में किसी भी कैदी के बीमार पड़ने पर जिला प्रशासन चिकित्सकों पर निर्भर नहीं रहता। बल्कि, कैदी स्वयं प्राणिक हीलिंग पद्धति से उसका उपचार कर देते हैं।
देहरादून, [गौरव ममगाईं]: जिले का सुद्धोवाला जिला कारागार प्रदेश ही नहीं, देश की मॉडल जेल के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। ढाई वर्ष पूर्व यहां जेल प्रशासन की ओर से 'प्राणिक हीलिंग उपचार पद्धति' के रूप में शुरू किए गए प्रयोग ने जेल की सूरत ही बदल डाली। आज इस कारागार में किसी भी कैदी के बीमार पड़ने पर जिला प्रशासन चिकित्सकों पर निर्भर नहीं रहता। बल्कि, कैदी स्वयं प्राणिक हीलिंग उपचार पद्धति से उसका उपचार कर देते हैं।
प्रदेश की अस्थायी राजधानी में स्थित होने के कारण सुद्धोवाला जिला कारागार को अतिसंवेदनशील कारागार की श्रेणी में रखा गया है। यहां राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर के अपराधी भी बंदी हैं। इस कारण यह कारागार जेल प्रशासन के लिए सिरदर्द बना रहता था।
लेकिन, जब से उसने प्राणिक हीलिंग उपचार पद्धति को व्यवहार में उतारा, जेल के भीतर एक सौहार्दपूर्ण माहौल तैयार हो गया। उपचार पद्धति की शुरुआत वर्ष 2015 में हुई। शुरू में कैदियों ने इसमें रूचि नहीं ली, लेकिन धीरे-धीरे अच्छी तादाद में कैदी कक्षा का हिस्सा बनने लगे। जेल में प्रतिदिन सुबह नौ से 11 बजे तक कक्षा संचालित की जाती है। फिलहाल 18 कैदी यहां कक्षा ले रहे हैं।
वर्तमान में यहां कुल 1150 कैदी हैं, जिनमें से करीब 650 कैदी एक माह का कोर्स पूरा कर चुके हैं। अब ये कैदी प्राणशक्ति (तरंग रूपी ऊर्जा) के माध्यम से बीमार पड़ने वाले कैदियों का उपचार कर रहे हैं। शायद ही ऐसी कोई बीमारी होगी, जिसका इलाज इनके पास न हो। ऐसा नहीं कि प्रशिक्षित कैदी सिर्फ बीमार कैदियों को ही उपचार देते हैं, जरूरत पड़ने पर जेल प्रशासन के कर्मी भी इनकी सहायता लेते हैं।
हर कैदी खुद में विशेष
-पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के जुर्म में सात साल की सजा काट रहे बैरक नंबर 6-ए के कैदी गोपाल प्राणशक्ति के जरिए किसी भी व्यक्ति के भीतर छिपी बीमारी का पता लगा सकता है। गोपाल सात माह पूर्व देहरादून की एक महिला के बांझपन का सफल इलाज कर चुका है।
-दुष्कर्म के जुर्म में सात साल की सजा काट रहे बच्चा बैरक के कैदी माधव ने प्राणशक्ति के जरिए कई लोगों के आंखों की रोशनी लौटाई है। आज उन्हें चश्मे की जरूरत नहीं पड़ती।
-दुष्कर्म के जुर्म में दस साल की सजा काट रहा सूरज नेगी पानी चार्ज के लिए मशहूर है। वह प्राणशक्ति के जरिए पानी को चार्ज करता है। इससे पानी में बैक्टीरिया व नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं। यह पानी शरीर के लिए लाभकारी होता है। यही कारण है कि जेल प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी पीने के लिए सूरज से रोजाना पांच-पांच लीटर पानी चार्ज कराते हैं।
क्या है यह पद्धति
प्राणिक हीलिंग पद्धति एक पूरक चिकित्सा पद्धति है, जिसे वैज्ञानिक प्रमाणित कर चुके हैं। यह पद्धति मानव शरीर में मौजूद 11 चक्रों के क्रियान्वयन पर निर्भर है। इस पद्धति के अनुसार इन चक्रों का ठीक से संचालन न होने के कारण शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं। इसमें मनुष्य को प्राणशक्ति के जरिए शरीर के 11 चक्रों पर नियंत्रण पाना सिखाया जाता है।
बदल गया जीवन
ऑल इंडिया प्राणिक हीलिंग फाउंडेशन के विशेषज्ञ एवं सदस्य डॉ. ग्रिबाला जुयाल के मुताबिक जब मैंने जेल में कैदियों को प्राणिक हीलिंग की कक्षा देना शुरू किया तो जेल प्रशासन व मेरे परिवार ने कहा कि महिला का कैदियों के पास जाना सुरक्षित नहीं। लेकिन मुझे मालूम था कि एक बार कैदियों ने प्राणिक हीलिंग को अपना लिया तो उनका जीवन ही बदल जाएगा।
बदल रहा है माहौल
जिला कारागार के जेल अधीक्षक महेंद्र सिंह ग्वाल के अनुसार कारागार में प्राणिक हीलिंग उपचार पद्धति के प्रयोग के बाद जेल के भीतर का तनावपूर्ण माहौल तेजी से बदल गया। आज सुद्धोवाला जेल एक मॉडल जेल के रूप में जानी जाने लगी है। कैदियों के आत्मविश्वास एवं सकारात्मक सोच ने उनका जीवन बदल डाला है।
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