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चिट्ठी के साथ ही हरियाली का संदेश भी बांट रहा डाकिया

विनोद सकलानी का चिट्ठी बांटना पेशा है तो पर्यावरण सहेजना जुनून। वह हर रोज साइकिल पर सवार होकर डाक बांटते हैं। साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना भी नहीं भूलते हैं।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 29 Jul 2017 12:01 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jul 2017 08:48 PM (IST)
चिट्ठी के साथ ही हरियाली का संदेश भी बांट रहा डाकिया
चिट्ठी के साथ ही हरियाली का संदेश भी बांट रहा डाकिया

देहरादून, [गौरव गुलेरी]: 56 साल के विनोद सकलानी का चिट्ठी बांटना पेशा है तो पर्यावरण सहेजना जुनून। 27 वर्ष से वह हर रोज साइकिल पर सवार होकर डाक बांटते हैं। साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना भी नहीं भूलते हैं। मानसून के दौरान वह प्रत्येक रविवार को शहर में पौधे रोपने निकल पड़ते हैं। 

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साइकिलिंग और ट्रैकिंग के शौकीन विनोद देहरादून में नेशविला रोड के रहने वाले हैं। वह बताते हैं कि खेलों के प्रति आकर्षण बचपन से ही था। 1987 में उन्होंने दो बार साइकिल पर देहरादून से दिल्ली की यात्रा की। वर्ष 2000 में उनकी मुलाकात बेल्जियम से आए एक ग्रुप से हुई। 

इस ग्रुप के साथ वह गढ़वाल के हिमालयी क्षेत्रों में ट्रैकिंग पर गए। इस दौरान उन्हें अहसास हुआ कि पहाड़ से पेड़ सिमटते जा रहे हैं। जगह-जगह भूस्खलन के दृश्यों से व्यथित होकर उन्होंने ठाना कि जो भी हो तस्वीर बदलनी होगी। तब से शुरू हुआ सफर आज तक जारी है। 

पिछले 16 साल से वह नियमित तौर पर गंगोत्री, उत्तरकाशी जिले के दयारा बुग्याल (उच्च हिमालय में घास के मैदान) और चमोली जिले के जोशीमठ में ट्रैकिंग के दौरान पौधे रोपते हैं। छह बार लद्दाख में भी ट्रैकिंग कर चुके हैं।

ढलती उम्र में दौड़ प्रतियोगिताओं में शिरकत करनी शुरू की। पिछले छह साल से वह जिले में होने वाली क्रास कंट्री, मिनी मैराथन, हॉफ व फुल मैराथन के वेटरन वर्ग में पूरे जोश के साथ भाग लेते हैं। मकसद बस एक ही है, पर्यावरण संरक्षण और खेल के लिए युवाओं में जज्बा पैदा करना। 

पर्यावरण संरक्षण जुनून 

विनोद सकलानी कहते हैं कि चिट्टी बांटना मेरा पेशा है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण और ट्रैकिंग जुनून। रिटायरमेंट के बाद ट्रैकिंग के माध्यम से लोगों को प्रदेश के पर्यटक स्थलों से परिचित कराऊंगा। साथ ही पर्यावरण संरक्षण की मुहिम भी जारी रखूंगा। 

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