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जिसे घरवालों ने किया मरा घोषित, उससे होती थी फोन पर बात

पुलिस ने ऐसे मामले का खुलासा किया जिसमें पीड़ित ही आरोपी निकला। उसके घरवाले जो उसे मृत घोषित कर चुके थे। उससे फोन पर घंटो बातें किया करते। पढ़ें पूरा मामला।

By Gaurav KalaEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 12:32 PM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 07:16 AM (IST)
जिसे घरवालों ने किया मरा घोषित, उससे होती थी फोन पर बात
जिसे घरवालों ने किया मरा घोषित, उससे होती थी फोन पर बात

देहरादून, [जेएनएन]: सात माह से लापता प्रेमनगर का दुग्ध कारोबारी दिनेश पांथरी मुंबई में एक होटल में नौकरी करता मिला। दरअसल, पूरा मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि परिजनों ने उसकी ढूंढ के लिए धरना प्रदर्शन किया। शव की शिनाख्त भी कर दी। लेकिन गुपचुप उससे फोन पर भी बात करते रहे। पुलिस ने ऐसे किया पर्दाफाश।

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देहरादून जनपद के शिवपुरी कॉलोनी निवासी दिनेश पांथरी 19 जुलाई 2016 को अचानक लापता हो गया था। परिजनों ने दूसरे दिन यह सूचना पुलिस को दी और दिनेश का कुछ पता न चलने पर 21 जुलाई को ग्रामीणों के साथ प्रेमनगर थाने पर जोरदार प्रदर्शन किया।

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परिजनों का आरोप था कि पुलिस इस मामले में दिनेश के दोस्तों को बचा रही है। दरअसल, दिनेश के परिजन उसकी गुमशुदगी में उसके दोस्तों नितेश, बबलू व बाबा का हाथ होने का आरोप लगा रहे थे। आखिरकार, पुलिस परिजनों के दबाव में आ गई और नितेश, बबलू व बाबा पर दिनेश के अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

वहीं, नितेश, बबलू और बाबा ने पुलिस पूछताछ में यह तो माना था कि 19 जुलाई 2016 की रात वह दिनेश के साथ थे, लेकिन उनका कहना था कि वह उसे घर के पास गली में छोड़ अपने घर चले गए थे। इस सबमें करीब दो माह गुजर गए और फिर अचानक दिनेश के परिजन शांत हो गए। जबकि इससे पहले तक वह आए दिन अधिकारियों के ऑफिसों का चक्कर काटते थे।

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पुलिस को यह बात खटकी तो दिनेश के परिजनों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर डाल दिए गए। कॉल डिटेल में पता चला कि सितंबर के आखिरी सप्ताह से परिजनों की मुंबई के एक नंबर पर लगातार बात हो रही है। इसके पहले इस नंबर पर कभी बात नहीं होती थी। इस बीच जांच में एक और बात सामने आई कि दिनेश कमेटी भी चलाता था। जिसमें उसने कुछ लोगों से 50 लाख रुपये ले रखे थे।

देनदार दिनेश पर लगातार पैसे वापस करने का दबाव बना रहे थे। तभी पुलिस को आशंका हो गई थी कि दिनेश रुपये वापस करने से बचने के लिए खुद गायब हो गया है, हालांकि परिजनों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। इसी बीच दिनेश के परिजन देनदारों से समझौता करने का प्रयास करने लगे, जिससे पुलिस का संदेह और गहरा गया।

एसपी सिटी अजय सिंह ने बताया, एक सप्ताह पहले पता चला कि दिनेश मुंबई के एक होटल में नौकरी कर रहा है। मुबंई पहुंची प्रेमनगर पुलिस की टीम ने दिनेश को जोगेश्वरी पश्चिम इलाके में फिरदौस पार्क साबरी मस्जिद के बगल में स्थित होटल से गिरफ्तार कर लिया।

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अज्ञात शव को बता दिया दिनेश

पुलिस का संदेह तब और गहरा गया, जब दिनेश के परिजनों को एक शव की शिनाख्त के लिए बुलाया गया। विकासनगर में मिले एक शव को परिजनों ने दिनेश का शव बता दिया, जबकि शव का हुलिया दिनेश से जरा भी मेल नहीं खा रहा था।

ऐसे पहुंचा था मुंबई

दिनेश के अनुसार 19 जुलाई 2016 की रात करीब 11 बजे वह प्रेमनगर में कुमार स्वीट के पास एक डंपर में सवार हुआ और सभावाला पहुंचा। यहां से दूसरे डंपर से आइएसबीटी पहुंच और दिल्ली की बस पकड़ ली। दूसरे दिन दिल्ली से टे्रन में मुंबई के लिए रवाना हो गया।

होटल में बन गया वेटर

मुंबई में उसे जोगेश्वरी इलाके के एक होटल में वेटर की नौकरी मिल गई। पहले उसकी तनख्वाह पांच हजार थी, लेकिन जल्दी ही वह वेटरों का कैप्टन बन गया और उसकी तनख्वाह नौ हजार रुपये हो गई। वहां रहते हुए करीब दो माह तक उसने घर पर संपर्क नहीं किया।

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