रियो ओलांपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे उत्तराखंड के होनहारों को नहीं मिली कोई मदद
उत्तराखंड के ऐसे ही चार होनहार खिलाड़ी भारतीय दल में शामिल हैं, जिसे रियो ओलंपिक में भाग लेना है। इन्हें न तो प्रदेश सरकार की ओर से कोई मदद मिली और न सफलता के लिए शुभकामनाएं ही।
देहरादून, [गौरव गुलेरी]: ऐसा कौन खिलाड़ी होगा, जो खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व नहीं करना चाहता हो। उत्तराखंड के ऐसे ही चार होनहार खिलाड़ी भारतीय दल में शामिल हैं, जिसे रियो ओलंपिक में भाग लेना है। पदक की चाह में सभी खेल प्रेमियों की निगाहें इन पर टिकी हैं। इस सपने को साकार करने के लिए इन चारों ने जमकर मेहनत की है, लेकिन इस मेहनत के लिए इन्हें न तो प्रदेश सरकार की ओर से कोई मदद मिली और न सफलता के लिए शुभकामनाएं ही।
छह अगस्त से ब्राजील के रियो शहर में शुरू हो रहे खेलों के महाकुंभ में पहली बार उत्तराखंड के चार खिलाड़ी पदक जीतने के लिए दमखम दिखाएंगे। बाजपुर (ऊधमसिंहनगर) के गुरमीत व चमोली जिले के मनीष रावत जहां 20 किमी वॉक रेस में देश के लिए पदक जीतने के दावेदार हैं, वहीं गरुड़ (बागेश्वर) के नितेंद्र सिंह रावत मैराथन और रोशनाबाद (हरिद्वार) की वंदना कटारिया महिला हॉकी टीम में शामिल हैं, जबकि 2008 के ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके 'उत्तराखंड एक्सप्रेस' के नाम से मशहूर सुरेंद्र सिंह भंडारी बतौर प्रशिक्षक ओलंपिक में शामिल होंगे। उनके तीन शिष्य नितेंद्र सिंह रावत, खेता राम व गोपी ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
मनीष रावत, गुरमीत सिंह व वंदना कटारिया रियो पहुंच चुकी हैं, जबकि नितेंद्र सिंह रावत व उनके प्रशिक्षक सुरेंद्र सिंह भंडारी छह अगस्त को रियो के लिए रवाना होंगे। वह अभी बेंगलुरु में पसीना बहा रहे हैं। पहली बार इतनी संख्या में ओलंपिक में उत्तराखंड की भागीदारी के बावजूद प्रदेश सरकार की ओर से खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए 'गुड लक' तक नहीं निकला है, जबकि अन्य राज्य अपने खिलाड़ियों को हर तरह से सहायता को आगे आए हैं।
कर्नाटक सरकार ने खिलाड़ियों को सपोर्टिंग स्टाफ उपलब्ध कराने के साथ उनके खान-पान से लेकर तैयारियों के लिए आर्थिक सहायता भी दी है। जबकि, हरियाणा सरकार ने तो रियो जाने वाले अपने खिलाड़ियों को 15-15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। यह सिर्फ प्रतिभाग करने के लिए है। पदक जीतने पर उन्हें करोड़ों की राशि दी जाएगी। मगर, उत्तराखंड में किसी का इस ओर ध्यान ही नहीं है।
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2010 के लंदन ओलंपिक से पहले धावक गुरमीत सिंह को तैयारियों के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से पांच लाख रुपये दिए गए थे, लेकिन इस बार ऐसा कोई प्रयास नहीं हुआ। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि अभी तक प्रदेश सरकार की ओर से आधिकारिक रूप से ओलंपिक में पदक जीतने के लिए शुभकामनाएं तक नहीं भेजी गईं।
हालांकि, प्रदेश की खेल नीति में ओलंपिक, विश्वकप या इसके समकक्ष प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने पर खिलाड़ियों को पांच, तीन व दो लाख रुपये की धनराशि देने का प्रावधान है, मगर यह धनराशि भी खेलने के बाद दी जाती है। खिलाड़ियों को तैयारी के लिए कोई प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान नहीं किया गया।
सरकार ने 'गुड लक' तक नहीं कहा
पूर्व ओलंपियन सुरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि इतने बड़े आयोजन के लिए खिलाड़ी कड़ी मेहनत करता है। अपनों का साथ मिले है तो वह आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित होता है। एक ओर जहां अन्य प्रदेश अपने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं, वहीं हमारे प्रदेश से प्रोत्साहन तो दूर, सरकार ने 'गुड लक' तक नहीं कहा।
प्रदेश सरकार को खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए
नितेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ओलंपिक में पदक जीतने का सपना पूरा करने के लिए मैंने जमकर पसीना बहाया है। प्रदेश सरकार को खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के प्रयास करने चाहिए। इससे उनका मनोबल बढ़ता है।
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