विकास के साइड इफेक्ट पर भी देना होगा ध्यानः सीएम
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि केदारनाथ आपदा का कारण अभी भी बड़े शोध का विषय है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें विकास के साथ ही साइड इफेक्ट पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए ठोस कार्ययोजना तैयार करने की जरूरत है।
देहरादून। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि केदारनाथ आपदा का कारण अभी भी बड़े शोध का विषय है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें विकास के साथ ही साइड इफेक्ट पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए ठोस कार्ययोजना तैयार करने की जरूरत है।
पैसिफिक होटल में गोंविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवम् विकास संसथान अल्मोड़ा की ओर से आयोजित 'हिमालयी सतत विकास बहु-हितविचारधारको का मंच' विषय पर कार्यशाला के शुभारम्भ के दौरान उन्होनें यह विचार रखे।
कार्यशाला में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के प्रशाशनिक अधिकारी, पर्यावरण वैज्ञानिक और एनजीओ के सदसय भाग ले रहे हैं। इसमें हिमालय से जुड़े प्रदेशो में आपदा और जलवायु परिवर्तन से संबंधित विषय पर मंथन हो रहा है।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा की जलवायु परिवर्तन प्रकृति की प्रतिक्रिया है। हम समय के चक्र को उल्टा नहीं घुमा सकते, लेकिन समय के घूमते चक्र के साथ खुद को तैयार करना हमे सीखना होगा। अगर हम कोई नया शहर बसाना चाहते हैं तो वहां तमाम बातो का ख्याल रखना चाहिए।
हमे विकास के साथ साइड इफ़ेक्ट भी देखने होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा की केदारनाथ आपदा क्यों आई यह अभी भी बड़े शोध का विषय है। जहां जल भी बर्फ में रहता है वहां इतना बड़ा जल सैलाब कहा से आया, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
कार्यशाला में गढ़वाल विश्वविधालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एएन पुरोहित ने कहा की आपदा को लेकर कुछ लोग गलत बयानबाजी कर करते हैं। केदारनाथ आपदा के लिए पेड़ कटान को जिम्मेदार कुछ लोग बता रहे हैं। जबकि, केदारनाथ में पेड़ नहीं थे। कार्यशाला में उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम भी मौजूद रहे।