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कृमिनाशक दवा खाने से प्रदेशभर में 27 बच्‍चे हुए बीमार

कृमि मुक्ति दिवस पर खिलाई गई कृमिनाशक दवा एल्बेंडाजोल से प्रदेशभर में जगह-जगह बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। कुल 27 बच्‍चे बीमार हो गए।

By Gaurav KalaEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 06:46 PM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 07:00 AM (IST)
कृमिनाशक दवा खाने से प्रदेशभर में 27 बच्‍चे हुए बीमार
कृमिनाशक दवा खाने से प्रदेशभर में 27 बच्‍चे हुए बीमार

देहरादून, [जेएनएन]: कृमि मुक्ति दिवस पर खिलाई गई कृमिनाशक दवा से प्रदेशभर में 27 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। दवा खाते ही बच्चों में पेट दर्द, जी मिचलाना, चक्कर व उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देने लगे। इनमें अधिकतर बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। बहरहाल तबीयत संभलने पर बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया।

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कृमि मुक्ति दिवस के तहत प्रदेशभर में 27 लाख 82 हजार 282 बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाई गई। इनमें आंगनबाड़ी के 533456,सरकारी विद्यालयों के 1200156 व निजी विद्यालयों के 746120 बच्चे शामिल हैं।

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स्वास्थ्य महानिदेशालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस रावत ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत 302850 ऐसे बच्चों को भी चिन्हित किया गया है जो स्कूल ड्रापआउट हैं व आंगनबाड़ी में भी पंजीकृत नहीं हैं। इन तक पहुंचने के लिए आशाओं की मदद ली जा रही है। जो बच्चे छूट गए हैं उन्हें 28 फरवरी को मॉपअप डे पर दवा खिलाई जाएगी।

इस बीच प्रदेश में 27 बच्चों की दवा खाकर तबीयत बिगड़ गई। जनपद रुद्रप्रयाग में प्राथमिक विद्यालय कांडा, अगस्त्यमुनि में 14 बच्चे दवा खाकर बीमार हुए। इसके अलावा हरिद्वार जिले में प्राथमिक विद्यालय धर्मपुर में ग्यारह बच्चों की तबीयत बिगड़ गई।

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ऐसा ही कुछ मामला जनपद ऊधमसिंहनगर में भी सामने आया। जहां प्राथमिक विद्यालय किशनपुर, किच्छा में दो बच्चों की तबीयत दवा खाकर बिगड़ गई। बीमार हुए बच्चों में कुछ को प्रारंभिक उपचार दिया गया, जबकि अधिकतर बच्चों को 108 की मदद से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यह सभी बच्चे अब ठीक बताए गए हैं।

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स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस रावत ने बताया कि एल्बेंडाजोल सुरक्षित दवा है। इस दवा से कोई भी साइड-इफेक्ट नहीं होता। पेट में अधिक कीड़े या कृमि होने की स्थिति में यह दवा देने पर बच्चे को हल्का से चक्कर या उल्टी हो सकती है। लेकिन कुछ ही वक्त में बच्चा सामान्य अवस्था में आ जाता है। उन्होंने कहा कि कई बार बच्चे देखा देखी खुद को भी वही समस्या बताने लगते हैं।

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