एमडीडीए का पत्र दबा गया प्रशासन
जागरण संवाददाता, देहरादून: मसूरी डायवर्जन पर पैसेफिक हिल अपार्टमेंट के बिल्डर द्वारा सरकारी जमीन कब्
जागरण संवाददाता, देहरादून: मसूरी डायवर्जन पर पैसेफिक हिल अपार्टमेंट के बिल्डर द्वारा सरकारी जमीन कब्जाने के मामले में जिला प्रशासन ने फिर से 'खेल' कर दिया। हाई कोर्ट में झूठा हलफनामा दे चुका जिला प्रशासन पहले ही पैमाइश की पुरानी व नई रिपोर्ट दबाए बैठा था, अब तो उसने एमडीडीए का दो दिन पूर्व भेजा गया पत्र भी दबा लिया। दरअसल, एमडीडीए ने अपार्टमेंट के नक्शे की जांच करने से पूर्व जिला प्रशासन से एक मर्तबा फिर अपार्टमेंट की संयुक्त पैमाइश कराने का आग्रह किया था। लेकिन, हैरत वाली बात ये है कि पत्र पर प्रशासन ने कोई संज्ञान लेना तक जरूरी नहीं समझा। जिससे उसकी भूमिका संदेह के घेरे में है।
बिल्डरों से सांठगांठ में सरकारी विभागों का हाल ये है कि उनकी चले तो शहर की सभी जमीनों का सौदा कर बैठें। सरकारी विभागों का 'काला सच' पैसेफिक हिल में सामने आ चुका है। अवैध कब्जे पर फ्लैट बनाने का काम जारी रहा। वहां 35 फ्लैट व रास्ता बना दिया गया, लेकिन अधिकारी उधर झांकने तक नहीं गए। नगर निगम की तरफ से अब आवाज उठी, लेकिन वह भी दो-चार दिन हाथ-पांव मारने के बाद ठंडी होती नजर आ रही है। दरअसल, वर्तमान हालात में गेंद सीधे-सीधे जिला प्रशासन के पाले में है और जिला प्रशासन नहीं चाहता कि मामले में कोई कार्रवाई हो। बता दें कि इस मामले में जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद एसडीएम सदर ने गत वर्ष जांच की थी। जांच के बाद वे हाई कोर्ट को हलफनामा दे चुके हैं कि बिल्डर की ओर से कोई अतिक्रमण या कब्जा नहीं किया गया। ऐसा झूठ किसके इशारे पर बोला गया, यह सवाल तो था ही, उस पर प्रशासन ने विवादों में घिरने के बावजूद बिल्डर का साथ 'निभाने' में कोई कसर नहीं छोड़ी। न तो पुरानी जांच रिपोर्ट नगर निगम को दी गई, न नई पैमाइश की ही। इतना ही नहीं, निगम को अतिक्रमण तोड़ने तक से रोका जा रहा है। हैरत देखिए कि अब एमडीडीए का पत्र भी प्रशासन दबा गया। दो दिन पहले इस मामले में संयुक्त पैमाइश पर एमडीडीए ने प्रशासन को पत्र भेजा था। लेकिन, न प्रशासन ने पत्र का संज्ञान लिया, न एमडीडीए को जवाब ही दिया। ऐसे में अपार्टमेंट के नक्शे की जांच शुरू ही नहीं हो रही। अब सवाल उठता है कि आखिर प्रशासन किसके इशारे पर खुलकर बिल्डर के पक्ष में खड़ा है। वहीं, एमडीडीए सचिव वंशीधर तिवारी ने बताया कि संयुक्त पैमाइश का आग्रह प्रशासन से किया गया है। इसके बाद ही नक्शा जांचने की कार्रवाई होगी। जबकि, मेयर विनोद चमोली ने बताया कि प्रशासन की भूमिका की जांच के लिए शासन को पत्र भेजा जा चुका है।
स्टे सिर्फ गिरफ्तारी पर था, फिर जांच क्यों रोकी
आरोपी बिल्डर एसएस बंसल के विरुद्ध मई 2013 में निगम द्वारा राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था, मगर इसके बावजूद बिल्डर के हौसले कम नहीं हुए। अवैध कब्जे पर निर्माण जारी रहा। बिल्डर ने हाई कोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया। मामले में दून पुलिस 'अनपढ़' साबित हुई या फिर जानबूझकर ड्रामा रचा गया। पुलिस यह दावा करती रही कि स्टे जांच रोकने पर है, जबकि सच कुछ और ही था। बीते डेढ़ साल से पुलिस इसी 'झूठ' का सहारा लेकर मुकदमे की जांच नहीं कर रही।
निर्माण तो रुका ही नहीं साहब
मेयर विनोद चमोली के मंगलवार को हुए निरीक्षण के बाद खसरा नंबर-24 में निर्माण कार्य रोकने के निर्देश दिए गए थे। इस पर एमडीडीए ने दावा किया था कि काम रोक दिया गया है, लेकिन बुधवार को भी निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी रहा। हैरत देखिए कि एमडीडीए ने वहां झांका न नगर निगम ने।
24 घंटे बाद भी नहीं हटी सामग्री
मेयर व एमएनए ने बिल्डर को सरकारी जमीन पर पड़ी सामग्री व मशीनें हटाने को 24 घंटे का वक्त दिया था। ऐसा न करने पर सामान जब्त करने और मुकदमा कराने की चेतावनी दी गई थी। लेकिन, बुधवार को 30 घंटे बीत जाने के बावजूद अफसरों ने अपने आदेशों का पालन कराने की जहमत नहीं उठाई।