बिल्डर के विरुद्ध हाई कोर्ट गया निगम
जागरण संवाददाता, देहरादून: मसूरी डायवर्जन स्थित पैसेफिक हिल अपार्टमेंट में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण म
जागरण संवाददाता, देहरादून: मसूरी डायवर्जन स्थित पैसेफिक हिल अपार्टमेंट में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण मामले में नगर निगम ने भी हाई कोर्ट का रुख किया है। दरअसल, निगम अफसरों को सूचना मिली थी कि अपार्टमेंट में हुई कार्रवाई के विरोध में बिल्डर हाई कोर्ट पहुंच गया है। इस पर निगम ने भी अपने वकील को हाई कोर्ट भेज दिया। उधर, रविवार को निगम ने अपनी जमीन पर दीवार का काम पूरा कर लिया व निगरानी के लिए कर्मचारी तैनात कर दिए। दूसरी तरफ, एमडीडीए की प्रारंभिक जांच में अपार्टमेंट का नक्शा गलत होने की बात सामने आ रही है।
पैसेफिक हिल अपार्टमेंट का मामला अब दोबारा हाई कोर्ट की चौखट तक जा पहुंचा है। नगर निगम द्वारा अपनी जमीन पर कब्जे और दीवार निर्माण की कार्रवाई के खिलाफ बिल्डर ने हाई कोर्ट में अपील की है। इसमें निगम की कार्रवाई को गैर-कानूनी बताकर जमीन पर अतिक्रमण ने होने की बात कहते हुए सरकारी अफसरों पर उंगली उठाई गई है। इसकी भनक लगते ही नगर निगम ने भी दस्तावेजों का पुलिंदा बनाकर अपने वकील को हाई कोर्ट रवाना कर दिया।
बता दें कि, यहां निगम ने 1200 वर्ग मीटर पर कब्जा ले लिया है। इसमें रास्ते के साथ ही अपार्टमेंट के 35 फ्लैट का कुछ हिस्सा भी निगम की दीवार के दायरे में आ गया था। पहले तो इन फ्लैटों का भविष्य ही अधर में माना जा रहा था, लेकिन अब पूरा अपार्टमेंट ही जांच के दायरे में फंस चुका है। दरअसल, अब अपार्टमेंट का नक्शा भी विवादों में है और यहां काटे गए हरे पेड़ों को लेकर भी नया विवाद जुड़ चुका है। एमडीडीए ने शनिवार को ही नक्शे की जांच शुरू कर दी थी। यह बताया जा रहा है कि प्रारंभिक जांच में नक्शा गलत होने के प्रमाण मिले हैं। अगर रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई तो एमडीडीए पैसेफिक अपार्टमेंट की सीलिंग की कार्रवाई करेगा। वहीं, वन विभाग और उद्यान विभाग पेड़ कटान की जांच कर रहे हैं। आरोप है कि, बिल्डर ने तीन पेड़ काटने की अनुमति लेकर बड़ी संख्या में पेड़ों पर आरी चला दी। सरकारी जमीन पर जो पेड़ थे, उन्हें भी काट दिया गया। ऐसे में बिल्डर पर अब चारों तरफ से शिकंजा कसा जा रहा है। एमएनए हरक सिंह रावत ने बताया कि निगम हाई कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखेगा। बिल्डर के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं।
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बिल्डर फंसा तो फंसेगा प्रशासन
हाई कोर्ट में अगर नगर निगम ने यह साबित कर दिया कि मौके पर निगम की जमीन कब्जाई गई थी तो बिल्डर ही नहीं जिला प्रशासन के अधिकारियों का फंसना भी तय है। दरअसल, मामले में पहले हुई जांच में जिला प्रशासन बिल्डर को क्लीन चिट देकर हाई कोर्ट में झूठा हलफनामा दे चुका है। नगर निगम पहले वाली जांच रिपोर्ट पर लगातार सवाल उठा रहा है।
दून में निवेशकों से हो रहा धोखा
राजधानी दून में अपार्टमेंटों के निर्माण में चल रहे सरकारी जमीनों पर कब्जे के खेल में निवेशकों के साथ लगातार धोखा हो रहा है। बिल्डर जमीनें कब्जाकर अपार्टमेंट बना रहे हैं और निवेशकों से पहले ही मोटी रकम वसूल रहे हैं। बाद में मामला खुलने पर बिल्डर पल्ला झाड़ लेते हैं और फंस जाते हैं बेचारे निवेशक। ताजा मामला पैसेफिक हिल अपार्टमेंट के रूप में सामने आया है। यहां करोड़ों रुपये फंसे देखकर निवेशकों में हड़कंप मचा हुआ है। तमाम निवेशक अपनी रकम वापस लेने को हाथ पांव मार रहे हैं।
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मेयर ने मुख्यमंत्री व शहरी विकास सचिव को लिखा पत्र
मेयर विनोद चमोली ने रविवार को इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कराने के लिए सचिव शहरी विकास को पत्र भेजा है। पत्र में जिक्र है कि मामले में नगर निगम और प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है। शासन स्तर से उच्च स्तरीय जांच के जरिये बिल्डर द्वारा किए गए अतिक्रमण व मामले में अफसरों की भूमिका की जांच हो। दूसरा पत्र मुख्यमंत्री को भेजा गया है, जिसमें नगर निगम के दायरे में और उसके सटे इलाकों में कॉलेज, मॉल, कांप्लेक्स व अपार्टमेंट के ताबड़तोड़ निर्माण में सरकारी जमीनों पर कब्जे का हवाला देकर मामलों की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी की मांग की है। मेयर के मुताबिक, भूमाफिया वन भूमि, नॉन-जेड-ए भूमि और राजस्व की भूमि पर कब्जे कर रहे हैं। नगर निगम इनकी जांच में सक्षम नहीं है। ऐसे में इन मामलों की जांच के लिए कमेटी बनाना ही उचित होगा।