करोड़ों की संपत्ति की फाइल गायब
अंकुर अग्रवाल, देहरादून नगर निगम से करोड़ों की संपत्ति से जुड़ी फाइल गायब है। मामला तब खुला जब कार्य
अंकुर अग्रवाल, देहरादून
नगर निगम से करोड़ों की संपत्ति से जुड़ी फाइल गायब है। मामला तब खुला जब कार्यकारिणी की बैठक में एक मामले पर सुनवाई करनी पड़ी। फाइल गायब कैसे हुई, इस बारे में किसी को कुछ नहीं 'पता'। पार्षदों का पारा चढ़ा तो बैठक में हंगामा हुआ। हंगामा जांच के आश्वासन पर खत्म हुआ। हां, इतना अवश्य तय हुआ कि कोई भी पार्षद व कर्मचारी फाइल देखेगा तो उसका नाम रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।
दरअसल गोविंदगढ़ प्रथम वार्ड में चंद्रशेखर कांडपाल और पूनम शर्मा के बीच करोड़ों की संपत्ति का विवाद चल रहा है। दोनों रिश्तेदार हैं और उक्त संपत्ति पर अपना दावा ठोक रहे हैं। पूनम के पति वायुसेना में अधिकारी हैं और दंपती दिल्ली में रह रहे हैं, जबकि कांडपाल पक्ष दून में ही रहता है। पूनम के पास उक्त संपत्ति की वसीयत है और कांडपाल पक्ष वसीयत को संदिग्ध बता रहा है। शक की वजह बतायी जा रही है कि वसीयत पर तारीख दर्ज नहीं है। बावजूद इसके वसीयत नगर निगम के कागजों में दर्ज कर ली गई।
मंगलवार को दोनों पक्ष कार्यकारिणी बैठक में सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए। सुनवाई दौरान संपत्ति की फाइल तलब की गई तो भूमि विभाग के अफसर और कर्मी मौन-धारण कर खड़े हो गए। मौन पर पार्षदों ने सवाल उठाए तो जवाब मिला कि फाइल मिल ही नहीं रही है। इस पर पार्षद अमिता सिंह, नीरज सेठी, जगदीश धीमान आदि ने हंगामा शुरू कर दिया और एफआइआर दर्ज कराने की मांग शुरू कर दी। पार्षदों का आरोप था कि पहले भी इस तरह के मामले होते रहे हैं, तब न केवल भूमि अनुभाग बल्कि कर अनुभाग, निर्माण अनुभाग तक से कई जरूरी फाइलें गायब होने की बात सामने आती रही है। फाइलें कैसे-कब और किसने गायब की, इसका जवाब किसी के पास नहीं रहा।
हालांकि एफआइआर दर्ज कराने पर सहमति नहीं बन पाई। मेयर विनोद चमोली ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि 'फाइलें कई मर्तबा पार्षद या निगम कर्मी देखने को निकाल लेते हैं। कई बार ये फाइलें वापस नहीं रखी जाती।' उन्होंने कहा कि अब जो कोई फाइल लेगा, उसका नाम रजिस्टर में लिखा जाएगा। जो भी फाइलें गायब हुई हैं उनकी जांच कराई जाएगी।
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साई मंदिर प्रशासन को किराये पर नहीं दी जाएगी संपत्ति
कार्यकारिणी बैठक में बहुचर्चित राजपुर रोड साई मंदिर मुद्दे पर भी विचार-विमर्श हुआ। नगर निगम प्रशासन ने प्रस्ताव भेजा था कि, जो संपत्ति निगम की है, उसे साई मंदिर प्रशासन को किराये पर दे दिया जाए। कार्यकारिणी ने प्रस्ताव खारिज कर दिया व फैसला लिया कि पहले निगम अपनी पूरी संपत्ति पर कब्जा लेगा। इसके बाद अपनी देखरेख में संपत्ति का संचालन करेगा। बता दें कि मंदिर प्रशासन ने निगम की संपत्ति पर अवैध कब्जा करते हुए न केवल कुछ मंदिर बना लिए थे बल्कि एक गेस्ट हाउस और 20 अन्य कमरे भी खड़े कर दिए थे। कमरे किराये पर चढ़ाए हुए हैं। निगम द्वारा संपत्ति पर कब्जा तो कर लिया गया है पर कमरे अभी खाली नहीं हुए हैं। बैठक में कमरे जल्द खाली कराने के आदेश भी पारित किए गए।
बगैर मर्जी एमएनए नहीं लेंगे फैसला
अब एमएनए अपनी मर्जी से उपकरण या अन्य चीजें नहीं खरीद सकेंगे। कार्यकारिणी ने इस पर सख्त आपत्ति जताई। इसके बाद मेयर ने आदेश दिए कि एमएनए को कोई भी सामान खरीदने से पहले निगम बोर्ड से अनुमति लेनी होगी।