उत्तराखंड में साढ़े तीन लाख हेक्टेयर जंगल को आग से बचाना चुनौती
उत्तराखंड में हर साल ही फायर सीजन यानी 15 फरवरी से 15 जून तक जंगल खूब सुलगते आए हैं। ऐसे में करीब 3.46 लाख हेक्टेयर जंगल को आग से बचाना बड़ी चुनौती है।
By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 28 Feb 2017 03:00 AM (IST)
देहरादून, [केदार दत्त]: उत्तराखंड में करीब 3.80 लाख हेक्टेयर में फैले वन क्षेत्र में 3.46 लाख हेक्टेयर से अधिक भूभाग को आग से बचाना बड़ी चुनौती है। इसमें भी 40 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र तो अत्यधिक संवेदनशील है। यह नहीं, 70 बीट भी इसी श्रेणी में हैं। वन महकमे के आइटी सेल ने 2005 से लेकर 2015 तक 10 सालों के आंकड़े जुटाए तो इसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 287 कंपार्टमेंट ऐसे चिह्नित किए गए, जिनमें चार से लेकर नौ बार आग लगी है। इस सबको देखते विभाग ने अब आग से निबटने को ऐसे क्षेत्रों पर विशेष फोकस करने का निर्णय लिया है, जहां बार-बार आग लग रही है।
विषम भूगोल वाले इस सूबे में हर साल ही फायर सीजन यानी 15 फरवरी से 15 जून तक जंगल खूब सुलगते आए हैं। जाहिर है, इससे बड़े पैमाने पर वन एवं वन संपदा को नुकसान पहुंच रहा है। मुख्य वन संरक्षक (आइटी) के.विद्यासागर के अनुसार इस सबको देखते हुए 2005 से 2015 तक हुई आग की घटनाओं का बारीकी से अध्ययन किया गया।
इसमें बात सामने आई कि राज्यभर में 346958.9 हेक्टयेर वन क्षेत्र अग्नि प्रभावित है। ज्यादातर आग भी इसी हिस्से में लगी। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में अत्यधिक संवेदनशील, मध्यम संवेदनशील व संवेदनशील बीटें चिह्नित की गईं। यह भी देखा गया कि आग की सबसे अधिक घटनाएं किन-किन क्षेत्रों (कंपार्टमेंट) में लगी। विद्यासागर के मुताबिक यह डेटा सभी प्रभागों को भेज दिया गया है। इसके आधार पर वहां आग से निबटने के उपाय किए जा रहे हैं।
राज्य में संवेदनशील वन क्षेत्र
- 40295.5 हेक्टेयर अत्यधिक
- 103743.3 हेक्टेयर मध्यम
- 202920.1 हेक्टेयर संवेदनशील
बीटों की स्थिति
- श्रेणी, संख्या
- अत्यधिक संवेदनशील, 70
- मध्यम संवेदनशील, 210
- संवेदनशील, 853
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