एक हजार से अधिक गांव इको सेंसिटिव जोन की जद में
उत्तराखंड में छह राष्ट्रीय पार्को और सात अभयारण्यों से लगे एक हजार से अधिक गांव इको सेंसिटिव जोन की जद में हैं। यद्यपि, इस पर अभी अंतिम मुहर नहीं लगी है, लेकिन प्रारंभिक प्रस्तावों में ऐसी ही तस्वीर उभर रही है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में छह राष्ट्रीय पार्को और सात अभयारण्यों से लगे एक हजार से अधिक गांव इको सेंसिटिव जोन की जद में हैं। यद्यपि, इस पर अभी अंतिम मुहर नहीं लगी है, लेकिन प्रारंभिक प्रस्तावों में ऐसी ही तस्वीर उभर रही है।
शासन ने सूबे के संरक्षित क्षेत्रों के चारों तरफ इको सेंसिटिव जोन घोषित करने के मद्देनजर अंतिम प्रस्ताव तैयार करने के लिए वन महकमे को 15 दिन का वक्त दिया है। विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि सेंसिटिव जोन में कम से कम गांव आएं और मसौदे में जनता की व्यावहारिकता को भी ध्यान में रखा जाए। शासन स्तर पर मंथन के बाद यह मसौदा राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व में सभी राज्यों के लिए गाइडलाइन जारी की थी कि जितने भी संरक्षित क्षेत्र हैं, उनके चारों ओर 10 किमी की परिधि में इको सेंसिटिव जोन बनाए जाएं। बाद में यह व्यवस्था भी दी गई कि स्थानीय लोगों की राय और उसके आधार पर इस परिधि को घटाया-बढ़ाया जा सकता है।
उत्तराखंड में भी पिछले 10 सालों से कसरत चल रही है। हालांकि, इको सेंसिटिव जोन को लेकर विरोध के स्वर लगातार उठ रहे हैं। लेकिन, अब वन महकमे ने इसके लिए कसरत तेज कर दी है। कुछ संरक्षित क्षेत्रों में जनसुनवाई के बाद प्रस्ताव तैयार किए गए हैं।
इस कड़ी में सोमवार को वन विभाग मुख्यालय के मंथन सभागार में प्रमुख सचिव वन रणवीर सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में इको सेंसिटिव जोन को लेकर प्रेजेंटेशन दिए गए। इस दौरान बात उभरकर सामने आई कि यदि सभी छह पार्कों और अभयारण्यों के चारों तरफ पांच किमी की परिधि में इको सेंसिटिव जोन बनाया जाए तो एक हजार से अधिक गांव इसकी जद में आ जाएंगे। हालांकि, विभाग की ओर से एक से पांच किमी तक और 10 किमी तक की परिधि का अलग-अलग आकलन किया गया है।
राजाजी टाइगर रिजर्व में चारों तरफ एक किमी की परिधि में सेंसिटिव जोन बनाने पर 149 गांव इसकी जद में आएंगे। यदि वहां पांच किमी की परिधि ली गई तो गांवों की संख्या 350 तक हो सकती है। इसी प्रकार बिनसर अभयारण्य में 178 गांव जद में आ सकते हैं। ऐसी ही स्थिति दूसरे संरक्षित क्षेत्रों के मामले में है।
बैठक में गंगोत्री नेशनल पार्क, नंदादेवी बायोस्फीयर, कार्बेट नेशनल पार्क, केदारनाथ व नंधौर अभयारण्य समेत अन्य संरक्षित क्षेत्रों के प्रेजेंटेशन दिए गए। बताया गया कि अस्कोट समेत कुछ स्थानों पर जनसुनवाई चल रही है, जहां के प्रस्ताव जल्द तैयार कर दिए जाएंगे।
बैठक में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीबीएस खाती समेत अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे।सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार संरक्षित क्षेत्रों के चारों ओर इको सेंसिटिव जोन घोषित होना है। विभाग को निर्देश दिए गए हैं सेंसिटिव जोन की जद में कम से कम गांव आएं। अंतिम प्रस्ताव तैयार करने के लिए विभाग को 15 दिन का समय दिया गया है। इसी माह तक कैबिनेट के सम्मुख यह प्रस्ताव लाया जाएगा।
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