प्रवासी पक्षियों की राह ताक रहे गंगा तट, पक्षी प्रेमी हैं निराश
प्रतिवर्ष शीतकाल में मध्य एशिया से विभिन्न प्रजाति के पक्षी राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रवास के लिए आते हैं, लेकिन इस बार प्रवासी पक्षियों के बगैर गंगा तट के सूने पड़े हैं।
रायवाला, [दीपक जोशी]: इस बार प्रवासी पक्षियों को राजाजी राष्ट्रीय पार्क की आबोहवा खींचने में नाकाम साबित हो रही है। शायद यही वजह है कि अब तक काफी कम संख्या में इन पक्षियों ने यहां रूख किया है। प्रवासी पक्षियों के बगैर गंगा तट के सूने पड़े हैं और इनकी कम उपस्थिति पक्षी प्रेमियों को न केवल निराश बल्कि चिंतित भी कर रही है।
प्रतिवर्ष शीतकाल में मध्य एशिया से विभिन्न प्रजाति के पक्षी राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रवास के लिए आते हैं। यह पक्षी नंवबर से लेकर करीब मार्च महीने तक यहां रहते हैं। इनमें चकोर, वॉल क्रीपर, सैंड पाइपर, जलकाग, सुर्खाब, साइबेरियन पक्षी मुख्य हैं जो कि पार्क क्षेत्र में ऋषिकेश से लेकर हरिद्वार तक गंगा व दूसरी सहायक नदियों के किनारों पर प्रवास करते हैं। इन विदेशी पक्षियों को देखने के लिए वन्य जीव प्रेमी और पर्यटक खासे उत्साहित रहते हैं।
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इस बार कुछेक जगहों पर इनकी मौजूदगी है, लेकिन पिछले सालों के मुकाबले यह संख्या काफी कम है। हालांकि शीत ऋतु की शुरुआत में कुछ पक्षी आए, लेकिन अब तक इनकी संख्या में कुछ खास इजाफा नहीं हुआ। वजह जो भी हो पर इससे पक्षी प्रेमी निराश व चिंतित हैं।
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पक्षी विशेषज्ञ डॉ. सुनील कैंथोला का कहना है कि इसकी वजह गंगा नदी में जलस्तर कम होना और मौसम में अनापेक्षित बदलाव हो सकता है। नंवबर व दिसंबर में अधिक सर्दी नहीं पड़ी। इन पक्षियों को गहरे पानी वाली जगह अधिक पसंद होती हैं और कई जगहों पर बांध बनने से नदियों का प्राकृतिक बहाव स्थल प्रभावित हुआ है।
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भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ. विभाष पांडु का कहना है कि मध्य एशिया से पक्षी तो आए हैं, लेकिन इस बार गंगा किनारे इनकी संख्या कम है। इसका कारण नदी में पानी की मात्रा का कम होना हो सकता है और इस वजह से पक्षी आस-पास की दूसरी जगहों को चले जाते हैं। आसन बैराज व देहरादून की दूसरी जगहों पर पक्षी काफी संख्या में मौजूद हैं।
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