उत्तराखंड में बंद रही दवा की दुकानें, मरीजों की फजीहत
अखिल भारतीय औषधि महासंघ के आह्वान पर उत्तराखंड औषधि महासंघ ने आज प्रदेशभर में दवा की दुकानें बंद रखी। इससे मरीजों की भी फजीहत हुई।
देहरादून, [जेएनएन]: अखिल भारतीय औषधि महासंघ के आह्वान पर उत्तराखंड औषधि महासंघ ने आज प्रदेशभर में दवा की दुकानें बंद रखी। इससे मरीजों की भी फजीहत हुई।
दून औषधि महासंघ के अध्यक्ष टीएस अग्रवाल ने कहा कि होलसेल लाइसेंस के लिए फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता गलत निर्णय है। दवा तैयार करने और पैकिंग का काम अनुभवी और प्रशिक्षित लोगों की देखरेख में किया जाता है। ऐसे में होलसेल से जुड़े काम में फार्मेसिस्ट को रखने का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि देश में ब्राडेड जेनेरिक दवा का निर्माण किया जा रहा है। इसकी गुणवत्ता में अंतर होता है और एमआरपी भी एथिकल दवा की तुलना में ज्यादा होती है। उन्होंने दवा की खरीद व बिक्री का रिकॉर्ड पोर्टल पर अपडेट करने को मानव संसाधन का दुरुपयोग बताया।
उन्होंने कहा कि इसके चलते लोगों को अलग से कर्मचारी रखने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि नीतिगत निर्णय लेते समय इस कारोबार से जुड़े लोगों के भी सुझाव लिए जाने चाहिए।
मेडिकल स्टोरों में ताला, मरीज परेशान
हल्द्वानी में ऑनलाइन दवा वितरण के विरोध में मेडिकल स्टोर सुबह से बंद रहे। शहर के 200 से अधिक मेडिकल स्टोर बंद होने से मरीजों को परेशानी भी हुई। दवा के लिए मरीज इधर-उधर भटकते रहे।
बेस अस्पताल व महिला अस्पताल से लेकर निजी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों को भी दवा नहीं मिल पाई। जहां-जहां दुकानें खुली थी। कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने दुकानें बंद करवा दी।
अध्यक्ष नीरज कांडपाल ने बताया कि ऑनलाइन दवा वितरण की प्रक्रिया ठीक नहीं है। इससे उनके रोजगार पर असर पड़ेगा। जनहित को देखते हुए भी यह निर्णय ठीक नहीं है।
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