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अपने ही खेल में फंसे दर्जनों बिल्डर, अब देना पड़ेगा हर्जाना

रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी की आंखों में धूल झोंकने वाले बिल्डरों को अब इसका हर्जाना भुगतना पड़ेगा।

By raksha.panthariEdited By: Published: Fri, 27 Oct 2017 07:59 PM (IST)Updated: Fri, 27 Oct 2017 11:20 PM (IST)
अपने ही खेल में फंसे दर्जनों बिल्डर, अब देना पड़ेगा हर्जाना
अपने ही खेल में फंसे दर्जनों बिल्डर, अब देना पड़ेगा हर्जाना

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) की आंखों में धूल झोंकने को दर्जनों बिल्डरों ने जो खेल किया है, उसमें वह खुद फंसते नजर आ रहे हैं। निवेशकों को प्रॉपर्टी पर कब्जा देने के लिए उन्होंने जो अनुबंध किया है, उसकी तारीख तो निकल चुकी है या निकलने वाली है, जबकि रेरा में जमा कराए गए दस्तावेजों में यह तिथि डेढ़-दो साल बाद की बताई गई है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि दोनों तिथियों के अंतर का हर्जाना बिल्डरों को भरना पड़ेगा। 

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रेरा में अब तक 237 बिल्डर पंजीकरण के लिए आवेदन कर चुके हैं और अब तक 82 बिल्डरों पर पंजीकरण किया जा चुका है। पंजीकरण आवेदन में बिल्डरों को यह भी बताना होता है कि वह अपना प्रोजेक्ट कब तक पूरा कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दर्जनों बिल्डरों ने वर्ष 2018 व 2019 के बीच प्रोजेक्ट पूरा होने की जानकारी दी है। यह तो रहा वह तथ्य जो बिल्डरों ने रेरा को बताया है। जबकि हकीकत इससे भी जुदा है। क्योंकि हकीकत में कई बिल्डरों ने निवेशकों के साथ किए अनुबंध में कहा है कि वह वर्ष 2016 या वर्ष 2017 तक उन्हें प्रॉपर्टी पर कब्जा दे देंगे। कब्जे में देरी की शिकायतें भी रेरा में अब दर्ज की जाने लगी हैं। 

नियमों की बात करें तो अनुबंध को ही प्रोजेक्ट समाप्ति की तिथि माना जाएगा और इस तरह निवेशक बिल्डरों से हर्जाना प्राप्त करने के हकदार होंगे। उदाहरण के लिए यदि किसी निवेशक के साथ बिल्डर ने वर्ष 2016 में कब्जा देना का अनुबंध किया है और रेरा को उसने प्रोजेक्ट पूरा करने की तिथि वर्ष 2019 बताई है तो बिल्डर को करीब तीन साल तक निवेशक की वह राशि चुकानी होगी, जो निवेशक ने बैंक ऋण के रूप में अदा की या कर रहा है। यदि किसी केस में निवेशक विलंब के चलते फ्लैट खरीदने से इन्कार करता है और अपनी राशि की वापसी की मांग करता है तो बिल्डर को एसबीआइ की मार्जिनल रेट ऑफ लैंडिंग (एमआरएल) की प्रचलित ब्याज दर से भुगतान करना होगा। इस दर में दो फीसद राशि अतिरिक्त जोड़ी जाएगी। 

सृष्टि बिल्डकॉन का पंजीकरण नहीं मिला 

रेरा को अब तक मिली बिल्डरों की 20 शिकायतों में से एक ऐसी है, जिसमें संबंधित बिल्डर (सृष्टि बिल्डकॉन) का पंजीकरण रेरा में किया ही नहीं गया है। रेरा के सचिवालय के रूप में काम कर रहे उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) के कार्यक्रम प्रबंधक कैलाश पांडे के अनुसार सृष्टि बिल्डकॉन के एक निवेशक ने समय पर कब्जा न देने का आरोप लगाया है। प्रारंभिक छानबीन में यह बात सामने आई कि बिल्डर ने रेरा में पंजीकरण ही नहीं कराया है। इस पर बिल्डर को नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया है। 

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