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सहवाग की नजर में ये हैं सबसे बेहतरीन कप्तान

वैसे तो भारतीय टीम के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने कई कप्तानों के नेतृत्व में बल्लेबाजी का लुत्फ उठाया, लेकिन बात उनके पसंदीदा कप्तान की करें तो वह थे भारत के सबसे सफल स्पिन गेंदबाज रहे अनिल कुंबले।

By sunil negiEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2015 10:14 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2015 03:19 PM (IST)
सहवाग की नजर में ये हैं सबसे बेहतरीन कप्तान

देहरादून। वैसे तो भारतीय टीम के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने कई कप्तानों के नेतृत्व में बल्लेबाजी का लुत्फ उठाया, लेकिन बात उनके पसंदीदा कप्तान की करें तो वह थे भारत के सबसे सफल स्पिन गेंदबाज रहे अनिल कुंबले। यह बात खुद वीरेंद्र सहवाग ने देहरादून दैनिक जागरण से साझा की।
सहवाग ने बताया कि उन्हें कुंबले की कप्तानी में खेलना सबसे ज्यादा पसंद आया। कुंबले की खास बात यह थी कि वह हर मामले को सार्वजनिक नहीं करते थे, बल्कि उस समस्या का व्यक्तिगत रूप से निपटारा करते थे। चाहे वह किसी खिलाड़ी की फार्म से जुड़ा मामला हो या कुछ और।

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बकौल सहवाग 'कुंबले की कप्तानी के दौरान एक वक्त ऐसा आया कि सलामी जोड़ी के रूप में मेरे और गौतम गंभीर के संयोजन को लेकर सवाल खड़े होने लगे। उसी दौरान एक रात मैं और गंभीर साथ में डिनर कर रहे थे, तभी कुंबले वहां आए और कहा कि अगले चार मैचों में सलामी जोड़ी के रूप में तुम दोनों की जगह पक्की।

तनाव मत लो और जैसी मर्जी वैसे खेलो, हमने भी वैसा ही किया। इससे हमारे खेल में और ज्यादा सुधार आया। इसके बाद सलामी बल्लेबाजों के रूप में हम दोनों की जोड़ी काफी प्रसिद्ध हो गई।' सहवाग कहते हैं कि अनिल सिर्फ सलाह नहीं देते थे, बल्कि खिलाड़ियों की हरसंभव मदद भी करते।

गाने गुनगुनाते हुए मारते थे छक्के
सचिन तेंदुलकर और शेन वार्न की ओर से हाल ही में शुरू की गई आल स्टार्स प्रतियोगिता में सभी ने सहवाग को गाने गुनगुनाते हुए छक्के मारते देखा, इसकी टीवी से लेकर सोशल मीडिया तक सभी जगह खूब चर्चा हुई। इस संबंध में पूछने पर वीरेंद्र सहवाग ने बताया कि वह टीम इंडिया की ओर से खेलते हुए भी गाने गुनगुनाते हुए बल्लेबाजी करते थे। लेकिन, तब सोशल मीडिया पर यह सब ज्यादा फेमस नहीं हुआ, जितना आल स्टार्स प्रतियोगिता के दौरान हुआ।

धूप-छांव की तरह है सफलता और विफलता
युवाओं का संदेश देते हुए सहवाग कहते हैं कि सफलता और विफलता तो धूप-छांव की तरह हैं। दोनों आती-जाती रहती है। इसलिए, विफलता से कभी घबराना नहीं चाहिए और सफलता से आत्ममुग्ध नहीं होना चाहिए। बस सारा ध्यान अपना खेल बेहतर करने पर रखना चाहिए।

पढ़ें:-अब इस नई भूमिका में जल्द ही नजर आएंगे वीरेंद्र सहवाग


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