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इको सेंसिटिव जोन: ग्रामीणों की आपत्ति से सहमा वन महकमा

उत्तराखंड में प्रस्तावित इको सेंसिटिव जोन को लेकर अब वन विभाग ग्रामीणों को मनाने के लिए कोशिशें तेज़ कर दी हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 19 Nov 2017 05:04 PM (IST)Updated: Sun, 19 Nov 2017 08:56 PM (IST)
इको सेंसिटिव जोन: ग्रामीणों की आपत्ति से सहमा वन महकमा
इको सेंसिटिव जोन: ग्रामीणों की आपत्ति से सहमा वन महकमा

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में करीब 15 प्रतिशत हिस्से में पसरे संरक्षित क्षेत्रों के चारों ओर प्रस्तावित इको सेंसिटिव जोन को लेकर ग्रामीणों की आपत्तियों से वन महकमा सहमा हुआ है। इसे देखते हुए अब ग्रामीणों को मनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं और खुद प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव डीवीएस खाती ने कमान संभाली है। इस कड़ी में उन्होंने अल्मोड़ा जिले के अंतर्गत बिनसर अभयारण्य में पड़ने वाले गांवों के लोगों के बीच जाकर उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की। 

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राज्य के राष्ट्रीय उद्यानों कार्बेट, राजाजी, नंदा देवी, फूलों की घाटी, गंगोत्री व गोविंद, अभयारण्य मसूरी, केदारनाथ, गोविंद, अस्कोट, सोनानदी, बिनसर व नंधौर और संरक्षण आरक्षित (कंजर्वेशन रिवर्ज) आसन, झिलमिल झील, पवलगढ़ व नैनादेवी के चारों ओर 10 किमी की परिधि में इको सेंसिटिव जोन बनने हैं। इन संरक्षित क्षेत्रों से लगे गांवों, कसबों के लोग इस बात से आशंकित हैं कि इको सेंसिटिव जोन की परिधि में आने से उनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 

मसलन, किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए अनुमति लेनी आवश्यक होगी। साथ ही व्यावसायिक-वाणिज्यिक गतिविधियों पर भी अंकुश लगेगा। यही नहीं, इस क्षेत्र से गुजरने वाली किसी भी योजना के लिए खासे पापड़ बेलने पड़ेंगे। ग्रामीणों की इन आशंकाओं को देखते हुए वन महकमे ने इको सेंसिटिव जोन की परिधि का जरूरत के अनुसार निर्धारण करने का भरोसा दिलाया। इसके तहत यह सीमा दो से 10 किमी के बीच करने का निश्चय कर ग्रामीणों के रोष को थामने की कोशिश की गई है। 

बावजूद इसके बिनसर अभ्यारण्य के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण आशंकित हैं और वे इको सेंसिटिव जोन का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों की आपत्ति से महकमा सहमा हुआ है। वजह ये कि बाकी संरक्षित क्षेत्रों के इको सेंसिटिव जोन के प्रस्ताव वह केंद्र को भेज चुका है, जबकि बिनसर का अभी लटका हुआ है। यही नहीं, केंद्र भी तभी फैसला लेगा, जब उसके पास सभी संबंधित प्रस्ताव पहुंच जाएंगे। 

इस सबके मद्देनजर प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव डीवीएस खाती ने बिनसर अभ्यारण्य में डेरा डाला। उनके मुताबिक क्षेत्रीय ग्रामीण सीमा को लेकर आशंकित थे। उन्हें बताया गया कि यह सीमा एक से पांच किमी की परिधि में रखी गई है। साथ ही भरोसा दिलाया गया कि इको सेंसिटिव जोन बनने ने उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि ग्रामीण मान गए हैं। अब जल्द ही बिनसर का प्रस्ताव भी केंद्र को भेज दिया जाएगा। 

अब गेंद केंद्र के पाले में 

संरक्षित क्षेत्र के चारों ओर इको सेंसिटिव जोन के निर्धारण को लेकर गेंद अब केंद्र के पाले में है। प्रमुख वन संरक्षक खाती ने बताया कि राज्य की ओर से 16 संरक्षित क्षेत्रों के प्रस्ताव पहले ही भेजे जा चुके हैं। 17वें का प्रस्ताव भी भेजा जा रहा है। अब केंद्र को इनका परीक्षण कर निर्णय लेना है और वही इसकी अधिसूचना भी जारी करेगा। 

22 को दिल्ली में हो सकती है बैठक 

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में इको सेंसिटिव जोन के निर्धारण को लेकर 22 नवंबर को दिल्ली में बैठक हो सकती है। बताया गया कि इस दिन इको सेंसिटिव जोन का निर्धारण हो सकता है। 

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