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आइआरडीई ने विकसित किया ऐसा मिसाइल सिस्टम जो दुश्मन के ठिकाने में घुसकर उड़ाएगा टैंक

डीआरडीओ के आइआरडीई ने पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल टारगेट एक्यूजिशन सिस्टम तैयार किया है। जो दुश्मन के ठिकाने में घुसकर टैंक उड़ाएंगे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 10:30 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 08:51 PM (IST)
आइआरडीई ने विकसित किया ऐसा मिसाइल सिस्टम जो दुश्मन के ठिकाने में घुसकर उड़ाएगा टैंक
आइआरडीई ने विकसित किया ऐसा मिसाइल सिस्टम जो दुश्मन के ठिकाने में घुसकर उड़ाएगा टैंक

देहरादून, जेएनएन। निकट भविष्य में हमारी सेना दुश्मन के ठिकाने में घुसकर उसके टैंकों को ध्वस्त करने की क्षमता से लैस हो जाएगी। इसके लिए डीआरडीओ के यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आइआरडीई) ने पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल टारगेट एक्यूजिशन सिस्टम तैयार किया है। कुछ ट्रायल के बाद इस सिस्टम को सेना में शामिल कर दिया जाएगा। शनिवार को शुरू हुई इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन ऑप्टिक्स एंड इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स (आइकॉल)-2019 में इसका प्रदर्शन भी किया गया।

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आइआरडीई के निदेशक लॉयनल बेंजामिन ने बताया कि अब तक हमारी सेना एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का प्रयोग लॉन्चर के माध्यम से करती है। यह काफी भारी होता है और युद्ध के समय इसे हर जगह नहीं ले जाया जा सकता। ऐसे में कई दफा दुश्मन के टैंक सकुशल भागने में सफल हो जाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आइआरडीई ने एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के लिए पोर्टेबल टार्गेट एक्यूजिशन सिस्टम पर काम शुरू किया। यह सिस्टम महज आठ किलो का है, जिसे हमारा कोई भी जांबाज कंधे पर रखकर कहीं भी ले जा सकता है। इस सिस्टम के साथ मिसाइल सिस्टम को कहीं पर भी अटैच किया जा सकता है।

विशेष रूप से इसे नाग मिसाइल के लिए तैयार किया गया है। इसी साल सितंबर माह में इसका सफल ट्रायल देहरादून के ही मालदेवता क्षेत्र में किया जा चुका है। सेना के साथ इसके कुछ और ट्रायल पूरे कर उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। इस सिस्टम की एक सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि इसे मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया गया है।

 

सर्विलांस सिस्टम होगा और बेहतर

सेना के सर्विलांस (निगरानी) सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए डीआरडीओ ने मेगा पिक्सल इंफ्रारेड डिटेक्टर बेस्ड लॉन्ग रेंज सर्विलांस सिस्टम (एमआइएलआरएस) को और बेहतर बनाने का काम किया है।

अब तक इस सिस्टम की क्षमता 640 गुणा 512 मेगापिक्सल की थी, जिसे बढ़ाकर 1920 गुणा 1536 मेगापिक्सल कर दिया गया है। रात और दिन में यह और अधिक बेहतर दृश्यता के साथ दुश्मन को खोज निकालने में सक्षम होगा। पहले वाले सिस्टम में एक पिक्सल 15 माइक्रोन का था, जिससे तस्वीर धुंधली दिखती थी और अब यह पिक्सल 10 माइक्रोन का होगा। यानी कि तस्वीर में बारीक डॉट नजर नहीं आएंगे। दूसरी तरफ पहले वाला सिस्टम महज तीन किलोमीटर तक ही स्पष्ट तस्वीर देने में सक्षम था और अब इसकी क्षमता सात किलोमीटर हो गई है।

जिंबल से पैनी होगी ड्रोन रुस्तम-दो की आंख

भारतीय सेना के ड्रोन (अनमैंड एयर व्हीकल) रुस्तम-दो की आंख अब इतनी पैनी होगी कि कोई भी दुश्मन उसकी नजर से नहीं बच पाएगा। यह सब संभव हो पाएगा मीडियम रेंज इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल जंबल पेलोड असेंबली से। आइआरडीई के निदेशक लॉयनल बेंजामिन ने बताया कि अब तक जिंबल को रुस्तम पर लगाकर तीन बार सफल उड़ान की जा चुकी है।  

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निदेशक ने बताया कि रुस्तम पर जिंबल को लगाकर यह दुश्मन के चित्र लेता है और यह भी बताता है कि वह कितनी दूरी पर है और उसके कोर्डिनेट क्या हैं। ताकि हमारी सेना दुश्मन पर सटीक प्रहार कर सके। इसकी देखने की क्षमता 7.5 किलोमीटर है। 

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