हरीश रावत ने सोशल मीडिया से इशारों में किया सीएम को आगाह
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इन दिनों शोसल मीडिया में सक्रिय हैं। उन्होने अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी दल बदलने वालों से आगाह किया।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: मैं बुरा व्यक्ति था, अच्छा मुख्यमंत्री नहीं था, किसी की परवाह नहीं करता था, मगर उत्तराखंड तो बुरा नहीं था। उत्तराखंड और कांग्रेस ने तो दल-बदल करने वालों को बहुत कुछ दिया था। फिर कांग्रेस को क्यों झटका दिया और उत्तराखंड में क्यों दल-बदल की परंपरा डाल दी। कुछ धैर्य रख लेते, आखिर इस बुरे हरीश रावत ने भी 12 वर्ष धैर्य रखा। यह अंश है उस पत्र को जो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक सोशल मीडिया माध्यम पर डाला। इस पत्र में उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी दल बदलने वालों से आगाह किया।
सक्रिय राजनीति से भले ही पूर्व मुख्यमंत्री इन दिनों दूर नजर आ रहे हों, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से वे लगातार सरकार और दल बदलने वालों पर हमला कर रहे हैं। हाल ही में जारी एक पत्र में हरीश रावत ने कहा कि 18 मार्च, 2016 की भूमिका तो उनके शपथ लेने के एक पखवाड़े के बाद ही लिख दी गई थी। वरना प्रतिपक्ष एक नए-नए चुने गए मुख्यमंत्री के विरुद्व अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाता।
18 मार्च, 2016 को ऐसी शक्तियों ने निर्णायक प्रहार किया। उन्होंने कहा कि पार्टी में यदि अपनी बात कहते-कहते उन्हें 12 वर्ष बाद फल मिल सकता है तो दल बदलने वालों को भी न्याय मिलता। ये सभी खांटी कांग्रेसी, असली भाजपाई हो गए। हरीश रावत से नहीं निभा पाए, लेकिन अच्छे त्रिवेंद्र सिंह रावत से पांच वर्ष निभाएंगे, इसकी उम्मीद रखनी चाहिए।
उन्होंने मुख्यमंत्री को आगाह करने के साथ ही पत्र में कहा कि यदि पार्टियां कब किसने-किसकी उपेक्षा की, पर टूटने लगें तो उत्तराखंड में कोई मुख्यमंत्री दो वर्ष भी नहीं चल पाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के प्रति सोच-विचार कर सहानुभूति व्यक्त करें। मुख्यमंत्री के रूप में प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपलब्ध रहने के बावजूद कोई साथ नहीं रहा।
पत्र में उन्होंने किशोर उपाध्याय को मनचाही सीट थोपने पर सफाई भी दी। उन्होंने कहा कि वह 55 वर्ष से कांग्रेस का कार्यकर्ता हैं। संगठन में हर स्तर पर कार्य किया है। संगठन को साथ नहीं रख पाए, शायद यह शिकायत सही हो, लेकिन अध्यक्ष पर अनचाही सीट थोप दी, यह सत्य से कोसों दूर है।
उन्होंने कहा कि तीन वर्ष मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। इसकी तुलना के लिए अभी लोगों को कम से कम दो वर्ष प्रतीक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि कांग्र्रेस की प्रतिद्वंद्विता तो उनसे है, जिनका लक्ष्य विपक्ष मुक्त भारत है। चुनौती बहुत बड़ी है, रामायण में भगवान राम और महाभारत में भगवान कृष्ण के सम्मुख भी प्रबल प्रतिद्वंद्वी थे। भारी अहंकारी, अन्यायी, निरंकुश व अलोकतांत्रिक थे। फिर भी वे एक सेनानायक के रूप में और एक सारथी के रूप में लड़े और जीते। मेरे आकलन में कांग्रेस भी लोकतंत्र बचाओ-प्रतिपक्ष बचाओ अभियान की सारथी है।
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