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सरकार ने वेतन देने को लिया 500 करोड़ का कर्ज

कार्मिकों के वेतन-भत्ते और पेंशन के बोझ ने नई सरकार को एक बार फिर बाजार से उधार लेने को मजबूर कर दिया है। चालू माह में 500 करोड़ का कर्ज लिया गया है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 21 Jun 2017 03:49 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 04:48 PM (IST)
सरकार ने वेतन देने को लिया 500 करोड़ का कर्ज
सरकार ने वेतन देने को लिया 500 करोड़ का कर्ज

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: कार्मिकों के वेतन-भत्ते और पेंशन के बोझ ने नई सरकार को एक बार फिर बाजार से उधार लेने को मजबूर कर दिया है। चालू माह में 500 करोड़ का कर्ज लिया गया है। इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में अब तक 700 करोड़ का कर्ज उठाया जा चुका है।

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खराब माली हालत से जूझ रहे राज्य के सामने हर महीने अपने कार्मिकों के वेतन-भत्ते और पेंशनर्स को पेंशन के भुगतान की चुनौती है। सातवां वेतनमान लागू होने से राज्य पर वेतन-भत्ते और पेंशन की मद में ही हर माह करीब 200 करोड़ का बोझ पड़ चुका है। 

सरकार के सामने सातवें वेतनमान का एरियर देने की चुनौती भी है। नतीजतन नई सरकार को भी अपने मासिक खर्चों को पूरा करने के लिए उधार लेने को बाजार की शरण लेनी पड़ी है। हालांकि, केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार होने के बाद बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में बाजार से उधार उठाने के मामले में हालात बेहतर हैं। बीते वित्तीय वर्ष के पहले महीने में ही सरकार को कर्ज लेना पड़ा था। इसके बाद तकरीबन हर महीने ही कर्ज लेने की नौबत रही। 

इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में केंद्र की ओर से भी राज्य को बकाया मदद का भुगतान किया गया है। इस वजह से पहले राज्य सरकार ने 400 करोड़ का कर्ज उठाने का फैसला लिया था, लेकिन बाद में इसे घटाकर 200 करोड़ किया गया। 200 करोड़ कर्ज लेने के बाद चालू जून माह में 500 करोड़ बतौर कर्ज और लिया गया है। अब तक कर्ज की धनराशि बढ़कर 700 करोड़ हो चुकी है। 

बीते वित्तीय वर्ष में पहली तिमाही में ही कर्ज की धनराशि तकरीबन एक हजार करोड़ तक पहुंच चुकी थी। गौरतलब है कि राज्य के कुल बजट का तकरीबन 86 फीसद हिस्सा गैर विकास मदों पर खर्च हो रहा है। इस वर्ष राज्य कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर करीब 11044.95 करोड़, सहायताप्राप्त शिक्षण व अन्य संस्थाओं के शिक्षकों-कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर 815.09 करोड़, पेंशन एवं अन्य सेवानिवृत्तिक लाभों के रूप में 4272.28 करोड़ रुपये खर्च होंगे। खर्च की तुलना में राज्य के पास आमदनी के साधन बेहद सीमित हैं।

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