उत्तराखंड में लोकायुक्त को लेकर सरकार ने फिर खारिज की राजभवन की आपत्ति
लोकायुक्त को लेकर राजभवन की आपत्ति को लेकर राज्य सरकार ने राजभवन को वापस फाइल भेजकर लोकायुक्त की चयन प्रक्रिया और चयन में किसी भी तरह नियम के उल्लंघन से इन्कार किया।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: लोकायुक्त को लेकर राजभवन और सरकार के बीच रार खत्म होती नजर नहीं आ रही है। लोकायुक्त के पैनल पर राजभवन के दो बार अंगुली उठाने के बावजूद राज्य सरकार ने अपनी चयन प्रक्रिया में किसी तरह खामी को नहीं माना है। राजभवन की आपत्ति को लेकर सरकार ने अपने जवाब फिर दोहराया है कि लोकायुक्त के पैनल में शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है और न ही उनकी प्रतिष्ठा पर किसी तरह का दाग लगा है।
विधानसभा चुनाव के ऐन पहले राज्य सरकार की ओर से लोकायुक्त के गठन की कवायद सवालों के घेरे में आ गई है। इस पर सवाल राजभवन ने उठाए हैं। सरकार ने लोकायुक्त संस्था के अध्यक्ष पद पर जस्टिस जेसीएस रावत, दो न्यायिक सदस्यों में आरडी पालीवाल व बीएस दुग्ताल, दौ गैर न्यायिक सदस्यों में पूर्व मुख्य सचिव एन रविशंकर और पूर्व मंडलायुक्त अजय नबियाल के चयन पर मुहर लगाते हुए मंजूरी के लिए फाइल राज्यपाल डॉ कृष्णकांत पाल को भेजी थी।
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राजभवन ने लोकायुक्त के लिए सर्च कमेटी और चयन कमेटी के गठन में नियमों और लोकायुक्त अधिनियम की अधिसूचना के उल्लंघन को लेकर सरकार को फाइल लौटा दी थी। वहीं राज्य सरकार ने राजभवन को वापस फाइल भेजकर लोकायुक्त की चयन प्रक्रिया और चयन में किसी भी तरह नियम के उल्लंघन से इन्कार किया।
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इसके बाद राजभवन ने लोकायुक्त के लिए संस्तुत जस्टिस जेसीएस रावत और इस पैनल में शामिल दूसरे नाम जस्टिस भंवर सिंह के नाम पर आपत्ति जताते हुए सरकार से दोबारा पूछताछ की थी। इसमें सरकार से उक्त दोनों सेवानिवृत्त न्यायाधीश की सेवाकाल के दौरान सीबीआइ जांच या अन्य किसी मामले में संलिप्तता के बारे में दोबारा स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया। साथ ही इसके प्रमाण के तौर पर अभिलेख भी मांगे गए।
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मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री की ओर से करीब चार दिन पहले ही राजभवन को उक्त दोनों सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति को लेकर जवाब भेजा जा चुका है। इसमें सरकार ने अपने पहले दावे को ही दोबारा दोहराया है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि उक्त दोनों ही लोग किसी भी मामले में लिप्त नहीं रहे हैं। जिन मामलों में उनकी संलिप्तता को लेकर अंगुली उठाई गई थीं, उनमें उन्हें पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी है।
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मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि राजभवन को सरकार की ओर से जवाब भेजा जा चुका है। बताया जा रहा है कि राजभवन लोकायुक्त जैसे प्रतिष्ठित पद पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति चाहता है, जिसके सार्वजनिक जीवन पर कभी कोई अंगुली न उठी हो। ऐसे में लोकायुक्त के मुद्दे पर राजभवन और सरकार के बीच खींचतान लंबी चल सकती है।
गौरतलब है कि लोकायुक्त संस्था के अध्यक्ष पद के लिए बने पैनल में शामिल नामों पर नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट सार्वजनिक रूप से सवाल खड़े कर चुके हैं। वहीं, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सशक्त लोकायुक्त नियुक्त करना हमारी प्राथमिकता है। फाइल में जो कमी रह गई थी, उसे दूर किया गया है।
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