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मंगाया मोबाइल, पार्सल खोलने पर निकला हैडफोन व चार्जर

ऑनलाइन खरीददारी पर उपभोक्ता को मोबाइल के बजाए मात्र चार्जर व हैडफोन ही डिलीवर किया गया। उपभोक्ता फोरम ने इस मामले में विपक्षीगण को मोबाइल की पूरी रकम लौटाने का आदेश दिया है।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 21 Apr 2017 09:53 AM (IST)Updated: Sat, 22 Apr 2017 04:05 AM (IST)
मंगाया मोबाइल, पार्सल खोलने पर निकला हैडफोन व चार्जर
मंगाया मोबाइल, पार्सल खोलने पर निकला हैडफोन व चार्जर

देहरादून, [जेएनएन]: ऑनलाइन खरीददारी पर उपभोक्ता को मोबाइल के बजाए मात्र चार्जर व हैडफोन ही डिलीवर किया गया। जिला उपभोक्ता फोरम ने इस मामले में विपक्षीगण को मोबाइल की पूरी रकम लौटाने का आदेश दिया है। इस रकम के अलावा वह 9 हजार रुपये क्षतिपूर्ति व वाद व्यय के 9 हजार रुपये भी देंगे। 

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आइटी पार्क, सहस्रधारा रोड निवासी मोहित बिष्ट ने ई-कॉमर्स कंपनी ईबे, जयपुर स्थित गोविंद इलेक्ट्रानिक्स व कोरियर सर्विस अरमेक्स के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। उपभोक्ता के अनुसार उन्होंने ईबे से 9,099 रुपये का एक मोबाइल फोन आर्डर किया था। यह आर्डर उन्हें 19 दिन बाद भेजा गया। 

उन्होंने पार्सल खोले तो उसमें मात्र चार्जर, हैडफोन व मैनुअल ही निकला। उन्होंने इसकी शिकायत ईबे से की और ई-मेल भी भेजा, पर समस्या का समाधान नहीं किया गया। विपक्षीगण पर नोटिस तामील होने के बाद भी उनकी ओर से कोई परिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। 

ऐसे में कार्यवाही एक पक्षीय चली। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष बलवीर प्रसाद व सदस्य अलका नेगी ने साक्ष्य के आधार पर विपक्षीगण को मोबाइल की पूरी कीमत लौटाने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा क्षतिपूर्ति को भी कहा है। 

चेक लौटाने पर बैंक पर जुर्माना 

खाते में रकम होने के बावजूद चेक अनादरित किए जाने पर जिला उपभोक्ता फोरम ने बैंक को क्षतिपूर्ति का आदेश दिया है। बैंक दस हजार रुपये क्षतिपूर्ति के अलावा वाद व्यय के रूप में भी उपभोक्ता को दस हजार रुपये अदा करेगा। 

इंदिरापुरम निवासी समर भूषण भंडारी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ऋषिकेश शाखा के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। उपभोक्ता के अनुसार उनका बैंक की पौड़ी शाखा में खाता है। 2 मार्च 2013 को एक लाख का चेक लेकर वह बैंक की ऋषिकेश शाखा में गए। जहां उनका चेक अनादरित कर दिया गया। 

इसके विपरीत खाते में 2 लाख 18 हजार रुपये थे। इससे वे प्लाट खरीदने के लिए बयाना नहीं दे सके और उन्हें तीन लाख की क्षति हुई। बैंक की ओर से फोरम में कहा गया कि चेक की एंट्री सत्यापित होने पर भुगतान लेने को कहा गया, लेकिन इसपर बैंक कर्मियों से अभद्र व्यवहार किया और कहा कि भुगतान में बहुत देर हो गई है। 

उसे चेक का भुगतान अब नहीं चाहिए। उन्हीं की मौखिक मांग पर चेक की रकम को सीआरटी करके निरस्त किया गया। जबकि फोरम ने साक्ष्य के आधार पर माना कि रेकार्ड पर दाखिल चेक में ऐसा कहीं भी अंकित नहीं है कि उपभोक्ता ने धनराशि लेने से इन्कार किया। चेक  सीआरटी किए जाने का कोई विश्वसनीय अभिलेख रेकार्ड पर प्रस्तुत नहीं है। फोरम के अध्यक्ष बलवीर प्रसाद व अलका नेगी ने इस मामले में बैंक को क्षतिपूर्ति का आदेश दिया है। 

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