पुनर्वास पर दावे हवा हवाई
जागरण संवाददाता, देहरादून: मलिन बस्तियों के पुनर्वास पर सरकार संजीदा नहीं दिख रही। टास्क फोर्स का गठ
जागरण संवाददाता, देहरादून: मलिन बस्तियों के पुनर्वास पर सरकार संजीदा नहीं दिख रही। टास्क फोर्स का गठन करने के साथ ही पुनर्वास नीति बनाने का दावा हुआ, पर इस दावे की हवा निकल गई। स्थिति यह कि टास्क फोर्स का स्वरूप तक तय नहीं है।
मलिन बस्तियों का मसला चुनाव में खूब उछलता है। तभी नेताओं को भी इनके पुनर्वास की याद आती है। मगर, बाद में वही 'ढाक के तीन पात'। पुनर्वास नीति के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। मैड संस्था की ओर से बस्तियों के पुनर्वास के संबंध में सूचना का अधिकार के तहत जुटाई गई जानकारी इसकी तस्दीक करती है।
मंगलवार को अखिल गढ़वाल सभा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में 'मैड' के अध्यक्ष अभिजय नेगी ने बताया कि शासन ने इसी वर्ष फरवरी में टास्क फोर्स का गठन किया था। टास्क फोर्स को चार माह के भीतर मलिन बस्तियों के लिए पुनर्वास नीति तय करनी थी। लेकिन, हुआ कुछ नहीं। जवाब यह दिया गया कि कार्य गतिमान है और टास्क फोर्स का स्वरूप निर्धारित नहीं है। उस पर सरकार ने पुनर्वास नीति बनाने की बजाए मलिन बस्ती सुरक्षा परिषद का गठन कर दिया।
नेगी ने कहा कि हर बरसात रिस्पना और बिंदाल नदी काफी तबाही मचाती है। लिहाजा, बस्तियों को शिफ्ट कर किसी सुरक्षित जगह विस्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बस्तियों के पुनर्वास के साथ ही रिस्पना और बिंदाल नदी को नवजीवन देने की भी आवश्यकता है। आरटीआइ के तहत मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की ने रिस्पना को बारहमासी नदी का दर्जा दिया है।