पुरस्कार को आए, फजीहत झेलकर बैरंग लौटे
जागरण संवाददाता, देहरादून: पुरस्कार लेने आए छात्रों और शिक्षकों को महकमे की लापरवाही के चलते फजीहत झ
जागरण संवाददाता, देहरादून: पुरस्कार लेने आए छात्रों और शिक्षकों को महकमे की लापरवाही के चलते फजीहत झेलनी पड़ी। शिक्षा विभाग ने इन्हें दून के सर्वे ऑडिटोरियम में पं.दीनदयाल उपाध्याय शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार देने के लिए बुलाया था। विभाग की लापरवाही की आलम देखिए कि सम्मान पाने वालों को कार्यक्रम स्थगित किए जाने की जानकारी देना भी मुनासिब नहीं समझा गया। इस कारण दूरस्थ विद्यालयों के कई शिक्षकों की बेवजह परेड हुई। वे बताए गए आयोजन स्थल पर कई घंटे इंतजार करते रहे, लेकिन न तो वहां आयोजक थे और न कोई जानकारी देने वाला। शिक्षकों ने अधिकारियों को फोन किया तो पता चला कि कार्यक्रम कई दिन पहले ही स्थगित कर दिया गया था।
बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाले मेधावियों और उत्कृष्ट परीक्षाफल देने वाले विद्यालयों को शिक्षा विभाग हर वर्ष पं. दीनदयाल उपाध्याय शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित करता है। इस वर्ष सम्मान समारोह के लिए 24 नवंबर की तिथि नियत हुई और आयोजन स्थल रखा गया राजधानी का सर्वे ऑडिटोरियम। पुरस्कृत होने वाले विद्यालयों और छात्रों को इसकी सूचना भी भेज दी गई, लेकिन कार्यक्रम किन्हीं कारणों से स्थगित कर दिया गया। इसके बावजूद शिक्षा विभाग ने सम्मानित किए जाने वालों को यह जानकारी देना मुनासिब नहीं समझा।
ऐसे में दूरस्थ विद्यालयों से शिक्षक व छात्र सोमवार को यहां पुरस्कार लेने पहुंचे तो ऑडिटोरियम का गेट बंद था और कार्यक्रम स्थल पर सन्नाटा पसरा हुआ था। वहां तैनात गार्ड से जानकारी ली तो पता चला कि यहां कोई कार्यक्रम ही नहीं है। ब्लाक स्तरीय अधिकारी को फोन किया तो उन्हें भी सही जानकारी नहीं थी। उन्होंने सलाह दी कि कुछ देर वहीं इंतजार करें। इस पर छात्र और शिक्षक घंटों वहीं बैठे रहे और बाद में कार्यक्रम स्थगित होने की सूचना मिली, तो निराश होकर लौट गए। इनमें अधिक तादाद पौड़ी व उत्तरकाशी जनपद के शिक्षकों और विद्यार्थियों की थी।
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विद्यालय में जो आदेश पहुंचा, उसमें 24 नवंबर की ही तिथि अंकित थी। इसके बाद न कार्यक्रम स्थगित करने की कोई सूचना मिली और न कोई नई तिथि घोषित हुई।
-मनोज बडोनी, शिक्षक इंटर कॉलेज, नीलकंठ
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मैंने खंड शिक्षा अधिकारी को फोन किया है। वह कह रहे हैं कि कार्यक्रम है, वहीं इंतजार कीजिए। जबकि उच्चाधिकारी बता रहे हैं कि कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।
-शांति मिश्रा, शिक्षिका शिशु निकेतन बैजरौं, बीरोखाल
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इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग किस संजीदगी से काम करता है। कार्यक्रम स्थगित किया गया, तो वक्त पर उसकी सूचना भी देनी थी।
-राहुल नौटियाल, शिक्षक सरस्वती इंटर कॉलेज, उत्तरकाशी
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विभागीय अधिकारी दावा कर रहे हैं कि इस संदर्भ में सूचना वक्त रहते दे दी गई थी। यदि ऐसा है, तो हमें इसकी जानकारी क्यों नहीं लगी।
-प्रकाश लखेड़ा, शिक्षक, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सतपुली
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राष्ट्रीय विद्यालयी वॉलीबाल प्रतियोगिता की वजह से यह समारोह स्थगित किया गया था। मुमकिन है कि कुछ लोगों तक सूचना समय पर नहीं पहुंच पाई।
-कुलदीप गैरोला, मुख्य शिक्षा अधिकारी, पौड़ी
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यह कार्यक्रम किन्हीं कारणों से स्थगित करना पड़ा। इस संदर्भ में जानकारी समय पर प्रेषित कर दी थी। कुछ लोगों को फोन पर भी जानकारी दी गई।
सीपी नौटियाल, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक), उत्तरकाशी
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कार्यक्रम स्थगित किए जाने की सूचना सभी जिलों को वक्त पर दे दी गई थी। यह मुख्य शिक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि संबंधित व्यक्ति तक सूचना पहुंचे।
चंद्र सिंह ग्वाल, माध्यमिक शिक्षा निदेशक
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यह विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिह्न है। अधिकारी कितने संजीदा हैं और विभाग का सूचना तंत्र कितना पुख्ता है, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
-करनैल सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष राजकीय शिक्षक संघ