दून के नामी कुमार स्टोर्स के ठिकानों पर ईडी का छापा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देहरादून के नामी-गिरामी कुमार स्टोर्स के तीन ठिकानों पर छापेमारी कर 15 लाख रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा और 51 लाख रुपये की नई भारतीय करेंसी पकड़ी।
देहरादून, [जेएनएन]: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देहरादून के नामी-गिरामी कुमार स्टोर्स के तीन ठिकानों पर छापेमारी कर 15 लाख रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा और 51 लाख रुपये की नई भारतीय करेंसी पकड़ी। गैर कानूनी ढंग से विदेशी मुद्रा विनिमय (फॉरेन करेंसी एक्सचेंज) कारोबार करने पर कुमार स्टोर्स व उसकी पार्टनर फर्म के संचालक पर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। दोनों पिता-पुत्र हैं। वहीं, 51 लाख की नई करेंसी के मामले में जांच शुरू कर दी गई है।
यह छापेमारी ईडी के राज्य प्रमुख सहायक निदेशक पीके चौधरी के नेतृत्व में की गई। सबसे पहले टीम नेशविला रोड स्थित कुमार स्टोर्स फर्म पहुंची। यहां टीम को 1560 रुपये के अमेरिकन डॉलर और फॉरेन करेंसी एक्सचेंज से संबंधित दस्तावेज मिले। यह फर्म अशोक कुमार के नाम पर है।
इसके बाद टीम अशोक कुमार के पुत्र गौरव कुमार की फर्म स्पार्कल गई। राजपुर रोड स्थित यह फर्म कुमार स्टोर्स की पार्टनर फर्म है। यह ब्रांडेड कॉस्मेटिक्स उत्पादों का शोरूम है। यहां से ईडी अधिकारियों को अमेरिकन डॉलर, कनैडियन डॉलर, पाउंड, यूरो, युआन समेत कुल 10 देशों की 15 लाख रुपये से अधिक की विदेशी करेंसी मिली। शोरूम में 51 लाख रुपये की नई भारतीय करेंसी भी मिली। साथ ही विदेशी मुद्रा के अवैध कारोबार से संबंधित कई रिकॉर्ड भी मिले।
छापेमारी अशोक कुमार के मसूरी डायवर्जन स्थित आवास पर भी की गई। यहां पर भी टीम को कुछ विदेशी मुद्रा मिली, लेकिन राशि कम होने के चलते इसे छोड़ दिया गया। सहायक निदेशक पीके चौधरी ने बताया कि गैर कानूनी ढंग से विदेशी मुद्रा का कारोबार करने पर पिता-पुत्र पर फेमा का तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया है।
छापेमारी में जो दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं, उनकी जांच शुरू कर दी गई है। एक-दो दिन में पिता-पुत्र को तलब कर पूछताछ की जाएगी।
मनी लॉन्ड्रिंग में भी कार्रवाई संभव
देर रात तक चली पूछताछ में अशोक और गौरव ईडी की टीम को 51 लाख रुपये की नई करेंसी का हिसाब नहीं दे पाए थे। टीम भी मान रही है कि यह राशि काला धन को सफेद करने का हिस्सा हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो अशोक कुमार व उनके पुत्र गौरव कुमार पर फेमा के अलावा मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत भी कार्रवाई संभव है। वहीं, आयकर विभाग भी मामले में अपना शिकंजा कस सकता है।
नहीं दिखा पाए लाइसेंस
छापेमारी के दौरान कुमार स्टोर्स के संचालक अशोक कुमार ने ईडी टीम को बताया कि उनके पास पूर्व में फॉरेन मनी एक्सचेंज का लाइसेंस था। हालांकि वह अधिकारियों को लाइसेंस नहीं दिखा पाए।
बड़े नेटवर्क से नहीं कर रहे इन्कार
ईडी अधिकारियों के मुताबिक छापेमारी में विदेशी मुद्रा पकड़े जाने से अधिक महत्वपूर्ण इससे जुड़े दस्तावेजों का पकड़ में आना है। फॉरेन करेंसी एक्सचेंज के अवैध कारोबार को दर्शाते जो दस्तावेज अधिकारियों के हाथ लगे हैं, उनकी संख्या सैकड़ों में है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कारोबार बड़े पैमाने पर संचालित किया जा रहा था।
साथ ही यह भी पता चल पाएगा कि कारोबार कितने सालों से चल रहा था। इस आधार पर भी अशोक व गौरव के नेटवर्क का पता लगाया जा सकता है। अधिकारी मान रहे हैं कि जितने देशों की करेंसी पकड़ी गई है, उतने देशों के एजेंट भी पिता-पुत्र के संपर्क में हो सकते हैं।
यदि ऐसा पाया गया विदेशी मुद्रा के अवैध कारोबार के बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ भी हो सकता है। ईडी के सहायक निदेशक पीके चौधरी के मुताबिक कब्जे में लिए गए दस्तावेजों की हर एंगल से जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक-दो दिन के भीतर इस नेटवर्क का दूसरा सिरा भी हाथ में आ जाएगा।
फेमा में यह चौथी कार्रवाई
इससे पहले ईडी ने इसी साल अप्रैल में राजपुर रोड स्थित एनजीओ संचालक विनोद उनियाल के फ्लैट से 20 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा पकड़ी थी। वहीं, पिछले साल के दिसंबर में घंटाघर स्थित न्यू सहदेव ज्वेलर्स व राजपुर रोड स्थित लास वेगास शोरूम से सात देशों की लाखों रुपये की करेंसी पकड़ी थी।
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