इस कारण से मसूरी में भूकंप ला सकता है तबाही, जानिए
पहाड़ों की रानी मसूरी भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील होती जा रही है। यहां आबादी और निर्माण का ग्राफ काफी बढ़ चुका है। ऐसे में भूकंप का एक बड़ा झटका भारी तबाही ला सकता है।
देहरादून, [जेएनएन]: मसूरी क्षेत्र वर्ष 1905 में एक शक्तिशाली भूकंप झेल चुका है और तब जान-माल का काफी नुकसान हुआ था। आज के परिपेक्ष्य में इसे देखें तो आबादी और निर्माण का ग्राफ काफी बढ़ चुका है। ऐसे में भूकंप का एक बड़ा झटका भारी तबाही ला सकता है।
भूकंप के लिहाज से मसूरी के भवनों के सर्वेक्षण में पता चला कि यहां के 615 भवन कमजोर स्थिति में हैं और भूंकप से क्षेत्र में 235.85 करोड़ रुपये की संभावित क्षति का आंकलन किया गया, जबकि जन हानि की कीमत तो आंकी ही नहीं जा सकती।
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मसूरी क्षेत्र की भूकंप संवेदनशीलता की यह हकीकत आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केंद्र की ओर से 'भूकंप जोखिम प्रबंधन' विषय पर आयोजित कार्यशाला में सामने आई।
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केंद्र के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयुष रौतेला ने कहा कि अन्य शहरों का भी इस तरह सर्वेक्षण किया जा रहा है, ताकि स्पष्ट तस्वीर सामने आने पर इस दिशा में सुरक्षा के ठोस कदम उठाए जा सकें।
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कार्यशाला के प्रथम सत्र में आइआइटी रुड़की के भूविज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. कमल ने भूकंप की परिभाषा, प्रकार, संभावित भविष्यवाणी पर विस्तृत जानकारी दी।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पूर्व निर्मित भवनों को किस तरह से भूकंपरोधी बनाया जा सकता है। आपदा प्रबंधन विभाग के उप सचिव संतोष बडोनी ने सरकारी व वैज्ञानिक संस्थाओं के मध्य परस्पर सहयोग पर बल दिया।
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आइआइटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. एमएल शर्मा ने वर्तमान भूकंपीय प्रवृत्ति व इसके अनुमान पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर अपर सचिव आपदा प्रबंधन सी रविशंकर, उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट के विशेषज्ञ डॉ. गिरीश जोशी, मुख्य नगर नियोजक संतोष कुमार बिष्ट, प्रो. अशोक कुमार, प्रो. योगेंद्र आदि ने भी विचार रखे।
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