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'डीएवी' बनने की राह पर दून विश्वविद्यालय

By Edited By: Published: Sun, 24 Aug 2014 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 24 Aug 2014 01:02 AM (IST)
'डीएवी' बनने की राह पर दून विश्वविद्यालय

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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दाखिलों को लेकर आफत क्या टूटी, उच्च शिक्षा का स्तर सुधारने की मुहिम धड़ाम हो गई। नतीजा सेंटर आफ एक्सीलेंस के सुनहरे ख्वाब के साथ शुरू हुआ दून विश्वविद्यालय अब अव्यवस्थाओं का 'डीएवी कालेज' बनने जा रहा है। अहम बात यह है कि यह सब शिक्षा का स्तर सुधारने के नाम पर हो रहा है।

दाखिलों को लेकर सरकार की अंधाधुंध दौड़ से उच्च शिक्षा का स्तर सुधारने की मुहिम को झटका लगा है। येन-केन-प्रकारेण सीटें बढ़ाने के फैसले ने दून विश्वविद्यालय के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। विश्वविद्यालय को इसी सत्र में हर हाल में स्नातक कक्षाएं शुरू करने को कहा गया है। हालांकि इसके लिए विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे छिपे उद्देश्य को ताक पर रखने से गुरेज नहीं किया जा रहा है। जेएनयू की तर्ज पर सेंटर आफ एक्सीलेंस के मकसद से खोला गया दून विश्वविद्यालय को अब डीएवीपीजी कालेज की राह पर बढ़ने को मजबूर है। विश्वविद्यालय की स्वायत्तता में सरकारी हस्तक्षेप का अंदाजा इससे लग सकता है कि स्नातक कक्षाएं शुरू करने का फैसला विश्वविद्यालय की कार्य परिषद या शैक्षिक परिषद में लेने की औपचारिकता पूरी करने की जरूरत महसूस नहीं की गई। सरकार ने झटपट दून विश्वविद्यालय में स्नातक कक्षाएं शुरू करने का फरमान जारी कर दिया।

सरकार ने दून विश्वविद्यालय में स्नातक कक्षाएं संचालित करने का फैसला तब लिया जब दून के अन्य कालेजों में दाखिले हो चुके हैं या हो रहे हैं। अब बचे-खुचे छात्र-छात्राओं को दाखिला देने का दबाव विश्वविद्यालय पर है। अगस्त के आखिरी हफ्ते में काफी देर से की जा रही इस कवायद का खामियाजा विश्वविद्यालय को भुगतना पड़ेगा। आइएससी, सीबीएसई और उत्तराखंड बोर्ड के मेधावी मेरिटोरियस छात्र-छात्राएं जब दाखिलों के लिए नई दिल्ली और चंडीगढ़ समेत देश के विभिन्न हिस्सों का रुख कर चुके हैं। अब बचे-खुचे छात्र-छात्राओं के बूते विश्वविद्यालय को दाखिले की समस्या को निपटाने के साथ ही शिक्षा का स्तर बरकरार रखने की जंग लड़नी होगी।

'दून विश्वविद्यालय में बगैर समुचित तैयारी के एकाएक स्नातक कक्षाएं शुरू करने का फैसला सरासर गलत है। इसका बुरा असर संस्थान को शैक्षिक रूप से उत्कृष्ट बनाने की मुहिम पर पड़ना तय है। वैसे भी यह फैसला पहले विश्वविद्यालय के स्तर पर होना चाहिए। अगर सरकार की ओर से इसे थोपा गया तो इससे व्यवस्था चरमराने में देर नहीं लगेगी, अच्छे शिक्षक विश्वविद्यालय से दूरी बना सकते हैं। बेहतर होगा कि ऐसे फैसले विश्वविद्यालय की कार्य परिषद और शैक्षणिक परिषद में लिए जाएं।'

-प्रो बीके जोशी, पूर्व कुलपति दून विश्वविद्यालय

'दून विश्वविद्यालय को अपने ढंग से चलने देना ही ठीक रहेगा। पिछली कांग्रेस सरकार ने उच्च शिक्षा को लेकर जन अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर सेंटर आफ एक्सीलेंस के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। दाखिले की मौजूदा समस्या के समाधान को तलाश किए गए वैकल्पिक उपायों को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के माध्यम से ही अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। दून विश्वविद्यालय की व्यवस्था से छेड़छाड़ न हो, इस बाबत आला अधिकारियों के साथ चर्चा की जाएगी।'

-डा इंदिरा हृदयेश, उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखंड।


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