उत्तराखंड: कंप्यूटर देगा रेस्क्यू ऑपरेशन की कमांड
उत्तराखंड का आपदा प्रबंधन विभाग अपने डिसीजन सपोर्ट सिस्टम को बेहतर बनाने की कसरत में जुट गया है। इसके लिए कंप्यूटर साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्राकृतिक आपदा की घटनाओं में राहत व बचाव अभियान की पुख्ता रणनीति बनाने में अब घंटों वक्त बर्बाद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रदेश का आपदा प्रबंधन विभाग अपने डिसीजन सपोर्ट सिस्टम को बेहतर बनाने की कसरत में जुट गया है। इसके लिए ऐसा कंप्यूटर साफ्टवेयर तैयार किया जाएगा, जो आपदा के बाद राहत व बचाव दलों के मूवमेंट से लेकर बचाव कार्यों के संबंध में स्वयं ही उचित दिशानिर्देश जारी करेगा। बहरहाल, राज्य सरकार इसके लिए विश्व बैंक से भी तकनीकी मदद ले रही है।
उत्तराखंड में भौगोलिक विषमताओं की वजह से दैवीय आपदा की घटनाओं के बाद राहत बचाव अभियान की पुख्ता रणनीति बनाने में सबसे अधिक दिक्कतें पेश आती हैं। आपदा प्रबंधन तंत्र को यह समझने में ही काफी वक्त लग जाता है कि घटनास्थल पर न्यूनतम समय में मदद पहुंचाने के लिए किस स्थान से और किस मार्ग से आपदा राहत दल भेजा जाए। आपदा की प्रकृति के हिसाब से वहां किस प्रकार के उपकरणों की जरूरत है और ऐसे उपकरण कौन से सबसे निकटवर्ती केंद्र पर उपलब्ध हैं। इस गुत्थी को सुझलाने के लिए प्रदेश में जल्द ही कंप्यूटरीकृत प्रणाली विकसित करने की तैयारी चल रही है।
उत्तराखंड: अब कम्युनिटी रेडियो से आपदा प्रबंधन
आमतौर पर ऐसी अत्याधुनिक प्रणालियां अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों में देखने को मिलती हैं। भारत में पश्चिम बंगाल व आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने भी इस दिशा में पहल की है, मगर वहां संतोषजनक काम नहीं हो पाया है। कुछ माह पूर्व सरकार ने इसके लिए निविदाएं आमंत्रित की, जिसमें नामी आइटी कंपनी आइबीएम ने प्रस्ताव भी भेजा, मगर आइबीएम का प्रस्ताव राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से उपयुक्त नहीं पाया गया। लिहाजा, सरकार ने अब इसके लिए विश्व बैंक से तकनीकी मदद लेने का निर्णय किया है।
राज्य सरकार के अनुरोध पर विश्व बैंक ने एक प्रारंभिक खाका राज्य को उपलब्ध कराया है, जिसके आधार पर नया प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। अपर सचिव आपदा प्रबंधन सी. रविशंकर ने बताया कि प्रस्ताव को विश्व बैंक मंजूरी मिलने के बाद इसके लिए कंसल्टेंट नियुक्त किया जाएगा। इस प्रणाली में प्रदेश के समूचे आपदा प्रबंधन तंत्र, एसडीआरएफ की विभिन्न टुकड़ियों, उपकरणों, सड़क मार्गों आदि का डाटाबेस कंप्यूटर पर अपलोड किया जाएगा। इसके आधार पर नया कंप्यूटर साफ्टवेयर राहत व बचाव अभियान के बारे में त्वरित निर्णय लेकर दिशानिर्देश जारी करेगा।
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