संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस: देवभूमि से ही खीचेंगे देश की सुरक्षा का खाका
दून स्थित इंडियन मिलिट्री ऐकेडमी (आइएमए) में आयोजित होने जा रही संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वाले 47 प्रतिनिधियों में सात उत्तराखंड से हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: देश सेवा और बहादुरी का जज्बा उत्तराखंड की मिट्टी में है। भले ही उत्तराखंड देश का एक छोटा सा राज्य है, लेकिन इस प्रदेश के लाल देश की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं और अब तो उत्तराखंड के ये लाल उत्तराखंड की ही धरती पर देश की सुरक्षा का खाका तैयार करेंगे। इसे इत्तेफाक कहें या कुछ और। लेकिन, दून स्थित इंडियन मिलिट्री ऐकेडमी (आइएमए) में आयोजित होने जा रही संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वाले 47 प्रतिनिधियों में सात उत्तराखंड से हैं। खास बात यह कि यह सभी निर्णायक भूमिका में हैं।
आगामी 21 जनवरी को आइएमए में संयुक्त कमांडर कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। इस सम्मलेन में भारत की प्रमुख सामरिक और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों और प्राथमिकताओं पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा अधिकाधिक संसाधनों की उपलब्धता, भविष्य की संचालन संबंधी जरूरतों और प्रौद्योगिकीय संकेतों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक खरीद योजनाओं पर भी विचार होगा।
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वर्तमान परिपेक्ष्य में रक्षा विशेषज्ञ प्रौद्योगिकीय कौशल के उन्नयन के बारे में भी बात करेंगे। हाल ही में जिस तरह जवानों के समस्याएं उभरकर सामने आई हैं, प्रधानमंत्री सेना के निचले स्तरों से लेकर शीर्ष स्तर तक एक टीम के रूप में काम करने की अपने सुझावों को दोहरा सकते हैं। यह सभी बातें तब महत्वपूर्ण हो जाती हैं जब यह सम्मेलन एक साल के अंतराल में आयोजित किया जा रहा है।
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इस सबके अलावा देवभूमि में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन का एक खास पहलू और है। ये अवसर सैन्य बहुल उत्तराखंड के लिए कई मायनों में खास है। तीनों सेना प्रमुख पहली बार आइएमए में एकसाथ जुट रहे हैं। प्रदेश के लिए यह सम्मेलन इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें शामिल होने वाले एकाध नहीं, कई शीर्ष रणनीतिकार देवभूमि उत्तराखंड से ही हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, डीजीएमओ ले जनरल एके भट्ट और डीजी कोस्टगार्ड राजेंद्र सिंह सहित सात अधिकारी इसी राज्य से हैं।
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जाहिर है कि जो भी निर्णय इस सम्मेलन में होने हैं उसमें ये सब अहम भूमिका में रहेंगे। जाहिर तौर पर इनकी हर बात को तवज्जो दी जाएगी। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि उत्तराखंड में, उत्तराखंड के वीर सपूत देश की सुरक्षा का खाका खीचेंगे।
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