कर्नल जामवाला ने नॉर्थ अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा
जाट रेजीमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल रणवीर जामवाल ने नॉर्थ अमेरिका की 20 हजार 310 फीट ऊंची चोटी डेनाली पर तिरंगा फहराने में सफलता प्राप्त की है।
ऋषिकेश, [जेएनएन]: उत्तराखंड के चौखंबा पर्वत से नौ वर्ष पूर्व पर्वतारोहण अभियान की शुरुआत करने वाले जाट रेजीमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल रणवीर जामवाल ने नॉर्थ अमेरिका की 20 हजार 310 फीट ऊंची चोटी डेनाली पर तिरंगा फहराने में सफलता प्राप्त की है।
उत्तराखंड के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल रणवीर जामवाल नया नाम नहीं है। जाट रेजीमेंट से जुड़े लेफ्टिनेंट कर्नल जामवाल ने पर्वतारोहण की शुरुआत वर्ष 2008 में उत्तराखंड के चौखंबा पर्वत के रेस्क्यू अभियान से की थी।
उसके बाद माणा पर्वत पर वर्ष 2009 में सफल आरोहण किया। इस अभियान में उनका पूरा दल बर्फीले तूफान में फंस गया था, लेकिन उन्होंने कुशल नेतृत्व का परिचय देते हुए सफल आरोहण करने के बाद पूरी टीम को बेस कैंप में पहुंचाया। अभियान ने उनकी जिंदगी में ऐसा मोड़ ला दिया कि जहां से कोई और आरोही शायद इस तरह के अभियान की सोच सके।
कर्नल जामवाल को शुरुआती दौर में ही बर्फ की चपेट में आने से अंगुली गंवानी पड़ी थी। कुशल नेतृत्वकारी दृढ़ निश्चयी इस सैन्य अधिकारी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके जीवन में अफ्रीका महाद्वीप, त्रिशूल पर्वत, दुनिया के सर्वोच्च शिखर एवरेस्ट में तिरंगा फहराने की उपलब्धि दर्ज है।
वर्ष 2012 में राष्ट्रपति ने उन्हें साहसिक खेलों के क्षेत्र में दिए जाने वाले सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार तेनजिंग नोर्गे अवार्ड से नवाजा। वर्ष 2013 में उन्हें फिर से भारत-नेपाल के संयुक्त आरोहण दल का लीडर चुना गया। देश दुनिया के 27 पहाड़ों पर तिरंगा फहरा चुके कर्नल जामवाल गांव बडोडी सांबा जम्मू कश्मीर के रहने वाले हैं।
कर्नल जामवाल के जीवन में 20 जून को एक और नई उपलब्धि जुड़ गई। उन्होंने नॉर्थ अमेरिका के सबसे ऊंचे पर्वत डेनाली को छूने का गौरव प्राप्त किया है। यह पर्वत 6190 मीटर यानी 20 हजार 310 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
कर्नल जामवाल ने कहा कि उत्तराखंड उनकी कर्मभूमि है। यहां के पहाड़ों और प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में वह कहते हैं कि यहां साहसिक खेलों की अपार संभावना है। इन संभावनाओं को बढ़ावा देकर पर्यटन को नई दिशा दी जा सकती है।
तीन बार एवरेस्ट पर तिरंगा लहरा चुके हैं जामवाल
लेफ्टिनेंट कर्नल रणवीर जामवाल ने वर्ष 2010 में बंदरपूंछ, भागीरथी पर्वत व अफ्रीका महाद्वीप के सर्वोच्च पर्वत क्लीमंजारो में तिरंगा फहराया। 2011 में त्रिशूल पर्वत व 2012 में दुनिया के सर्वोच्च शिखर एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। 2013 में उन्हें भारत-नेपाल संयुक्त आरोहण दल का लीडर बनाया गया और फिर से उन्होंने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। 2014 में यूरोप महाद्वीप के सबसे ऊंचे पहाड़ एलंब्रास का सफल आरोहण किया। 2015 में कारटैंस पिरामिड, 2016 में फिर से एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया।
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