पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों के लिए अलग मत्स्य नीति
राज्य ब्यूरो, देहरादून
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अलग और मैदानी क्षेत्रों के लिए अलग मत्स्य पालन नीति नीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में मत्स्य पालन को आजीविका से जोड़ा जाए। इसके लिए एक नई योजना बनायी जाए, जिसमें युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाए। बैंक से उन्हें सस्ती दरों पर ऋण मिले और राज्य सरकार इसमें अनुदान दे।
शुक्रवार देर शाम बीजापुर राज्य अतिथि गृह में मत्स्य पालन विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की सभी नदियों में मछली पालन के लिए मत्स्य विभाग ठोस कार्ययोजना तैयार करे। प्रदेश में मत्स्य पालन की क्या क्षमता है और कितना उत्पादन किया जा सकता है, इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए। मंडी समितियों से मछली उत्पादों के लिए अलग से कुछ दुकाने आवंटित की जाए। मछली पालन को कृषि से जोड़ें, ताकि किसानों की आजीविका बढ़ सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जिले के लिए टारगेट रखा जाए कि साल में कितने तालाब विकसित किए जा सकते हैं। उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियो को भी निर्देश दिए कि हरिद्वार में 74 तालाबों की योजना के प्रस्ताव को भारत सरकार को भेजा जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मत्स्य पालन को स्वरोजगार के जोड़ने के लिए सहकारी समितिया गठित की जाएं। हैचरियों से मत्स्य बीज उत्पादन के लिए विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की सलाह ली जाए। मत्स्य पालन के लिए वन, सिंचाई आदि विभागों के साथ बैठक कर ठोस नीति तैयार की जाए। बैठक में कृषि मंत्री डा. हरक सिंह रावत, पशुपालन मंत्री प्रीतम सिंह पंवार, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसएस संधू, प्रमुख सचिव एस रामास्वामी, सचिव वित्त भास्करानंद सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।