सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं को अभी इंतजार
राज्य ब्यूरो, देहरादून: केंद्र की सख्त हिदायत के बावजूद अक्टूबर तक प्रदेश में क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट लागू होने के आसार नजर नहीं आ रहे। इस मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व अन्य चिकित्सक संगठन शासन के समक्ष अपना पक्ष रख चुके हैं, मगर केंद्रीय अधिनियम की तर्ज पर राज्य का अपना एक्ट तैयार करने की दिशा में राज्य सरकार की कसरत पूरी नहीं हो पाई है। चूंकि इस नए एक्ट को विधानसभा से पारित करना होगा। लिहाजा, आमजन को बड़ी राहत देने वाले इस एक्ट को प्रदेश में लागू होने में अभी और वक्त लगना तय माना जा रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा करीब दो वर्ष पूर्व ही क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट पारित किया गया था। क्योंकि स्वास्थ्य कान्करेंट सूची का विषय है, लिहाजा स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता व बेहतरी के उद्देश्य से पारित हुए इस एक्ट को लागू करना राज्य सरकारों के लिए भी बाध्यकारी है। इस एक्ट में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिनसे निजी अस्पतालों, डाक्टरों व नर्सिग होम की मनमानी पर अंकुश लगेगा। साथ ही, आमजन के लिए स्वास्थ्य सेवाएं और ज्यादा सुलभ व सस्ती हो जाएंगी। समस्त अस्पतालों, क्लीनिक, नर्सिग होम व डाक्टरों को एक्ट के तहत पंजीकरण कराना जरूरी हो जाएगा।
चिकित्सा उपचार संबंधी हर सेवा का शुल्क भी अस्पतालों की श्रेणीवार निर्धारित हो जाएगा। प्राईवेट अस्पतालों आदि को अपने डाक्टर व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की योग्यता के प्रमाण भी उपलब्ध कराने होंगे। इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध जुर्माने व अन्य दंड के भी प्रावधान किए गए हैं। पूर्व में राज्य सरकार को यह एक्ट बीती 19 जुलाई तक लागू करना था। लिहाजा, केंद्र ने इस मामले में राज्य को अक्टूबर तक एक्ट लागू करने की हिदायत दी थी। अक्टूबर तक एक्ट लागू न होने पर राज्य को केंद्रीय मदद बंद करने की चेतावनी भी दी गई थी।
सूत्रों के मुताबिक इस एक्ट के बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन समेत अन्य चिकित्सक संगठन शासन के समक्ष अपने सुझाव व आपत्तियां रख चुके हैं, जिन पर अभी निर्णय लिया जाना बाकी है। साथ ही, केंद्रीय अधिनियम की तर्ज पर राज्य के अपने नए एक्ट का ड्राफ्ट भी अब तक तैयार नहीं हो पाया है। जाहिर है केंद्र द्वारा पारित इस नए एक्ट का लाभ पाने के लिए प्रदेश की जनता को कुछ और इंतजार करना होगा।