ताजमहल से महंगा ऋषिकेश में चौरासी कुटी का दीदार
तीर्थनगरी ऋषिकेश में प्रसिद्ध चौरासी कुटिया का दीदार सातवें अजूबे ताजमहल से भी मंहगा हो गया है। हालांकि, फिर भी यहां सैलानियों की आवक कम नहीं हुई है। एक माह में राजाजी नेशनल पार्क प्रशासन ने कुटिया से करीब तीन लाख रुपये का राजस्व प्राप्त किया है।
हरीश तिवारी, ऋषिकेश। दुनिया के सात आश्चर्यों में शामिल ताजमहल के दीदार आप भले ही 20 रुपये में कर आएं, लेकिन ऋषिकेश की 84 कुटिया में प्रवेश के लिए आपको डेढ़ सौ रुपये खर्च करने होंगे। बावजूद इसके विश्व में भावातीत ध्यान योग के प्रणेता महर्षि महेश योगी की इस कुटिया का आकर्षण सैलानियों में कम नहीं है। बीते एक माह में 1700 से ज्यादा पर्यटक इसके दीदार को पहुंचे और राजाजी नेशनल पार्क को करीब तीन लाख रुपये राजस्व के तौर पर मिला। हालांकि अधिकारी भी मानते हैं कि शुल्क कम हो तो यह संख्या और बढ़ सकती है।
राजाजी नेशनल पार्क में नैसर्गिक सौंदर्य के बीच डेढ़ वर्ग किलोमीटर भूभाग में फैले 84 कुटियाओं वाला महर्षि महेश योगी का यह आश्रम 1960 के दशक में बना था। इसे नाम दिया गया शंकराचार्य नगर। आश्रम में बेजोड़ वास्तुकला का नमूना गुंबदनुमा 84 कुटियाएं और दो दर्जन से अधिक भवन मौजूद हैं। देशी-विदेशी योग साधक यहां आते और ध्यान का अभ्यास करते। धीरे-धीरे यह स्थल दुनियाभर में मशहूर हो गया। इस स्थान का आकर्षण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 1967 में मशहूर अमेरिकन म्यूजिकल गु्रप बीटल्स के चार सदस्य जॉन लिनोन, पॉल मेकार्टनी, जॉर्ज हैरिशन और ङ्क्षरगो स्टार भी यहां आए। करीब एक साल आश्रम में रहकर इन सितारों ने न सिर्फ भावातीत ध्यान योग की दीक्षा ली, बल्कि कई धुनें प्रकृति की गोद में बैठकर रचीं।
80 के दशक में राजाजी नेशनल पार्क का नोटिफिकेशन होने के बाद चौरासी कुटी पर संकट गहराने लगा। पार्क कानूनों के आड़े आने पर आश्रम में भी ध्यान-योग के प्रशिक्षण पर बंदिशें लगने लगीं और आखिरकार 1985 में कुटी को बंद कर दिया गया। इसके बाद पिछले दिनों प्रदेश सरकार की पहल पर आठ दिसंबर को चौरासी कुटी एक बार फिर गुलजार हो गया। यहां की एक और खासियत है पङ्क्षरदों के खूबसूरत संसार। आश्रम क्षेत्र में पक्षियों की 185 से अधिक प्रजातियां चिह्नित की गई हैं। यहां आए सैलानी भी कहते हैं कि प्रवेश शुल्क को लेकर यह देश में सर्वाधिक महंगे पर्यटक स्थलों में से एक है। दिल्ली से परिवार समेत ऋषिकेश पहुंचे इंजीनियर अतुल शर्मा कहते हैं कि 'प्रवेश शुल्क कुछ कम कर दिया जाए तो सैलानियों की संख्या भी बढ़ जाएगी।
राजाजी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक किशन चंद बताते हैं कि चौरासी कुटी खुलने के बाद एक माह में डेढ़ हजार भारतीय और दो सौ विदेशी पर्यटक यहां आ चुके हैं। वह कहते हैं कि 'प्रवेश शुल्क का निर्धारण प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव)से होता है। शुल्क में कटौती पार्क प्रशासन के अधिकार में नहीं है। हम सिर्फ प्रस्ताव भेज सकते हैं।
पर्यटन स्थलों में शुल्क की स्थिति
पर्यटन स्थल विदेशी भारतीय
चौरासी कुटी- 600 150
अजंता- 250 10
एलोरा- 250 10
ताजमहल- 750 20
कुतुब मीनार- 250 10
लालकिला- 250 10
हवामहल- 50 10
खुजराहो- 250 फ्री
बुलंद दरवाजा 485 50
(नोट: प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति रुपये में)
'यह प्रवेश शुल्क नेशनल पार्क में प्रवेश के लिए भी है। शुल्क नेशनल पार्क के नियमानुसार शासन ने निर्धारित किया है।
-धनंजय मोहन, मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव), उत्तराखंड
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