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नहाय खाय के साथ छठ शुरू

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान आज नहाय-खाय के साथ शुरू हो ग

By Edited By: Published: Tue, 28 Oct 2014 03:20 AM (IST)Updated: Mon, 27 Oct 2014 09:35 PM (IST)
नहाय खाय के साथ छठ शुरू

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान आज नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। 29 अक्टूबर को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अ‌र्घ्य दिया जाएगा। 30 अक्टूबर को सुबह उगते सूर्य को अ‌र्घ्य अर्पित करने के साथ यह महापर्व संपन्न होगा। त्रिवेणी घाट पर अ‌र्घ्य देने के लिए श्रद्धालु दिन भर स्थान बनाने में जुटे रहे।

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छठ पूजा स्थल त्रिवेणी घाट को भव्य रूप से सजाया गया है। बुधवार को नहाय-खाय के अवसर पर व्रती महिलाओं ने गंगा स्नान कर पूजा वाले घरों में गंगा जल से चना की दाल, भात तथा लौकी की सब्जी बनाई। लौकी-भात से प्रचलित इस शुरूआती अनुष्ठान में व्रतधारियों ने दिन में लौकी भात का सेवन किया तथा अपने परिजनों व इष्ट मित्रों को खिलाया। मंगलवार को खरना के दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखकर शाम को मीठा भोजन ग्रहण करेंगे। बुधवार को छठ का प्रसाद बनाया जाएगा जिसमें ठेकुआ, चावल के लड्डू शामिल हैं। छठ पूजा को लेकर तीर्थनगरी के लोगों में उत्साह है। तीर्थनगरी के विभिन्न घाटों की सफाई कर व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है। सोमवार को त्रिवेणी घाट पर भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य देने के लिए स्थान बनाने में श्रद्धालु दिन भर लगे रहे।

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पूजा के लिए सजा फल बाजार

सूर्य उपासना पर्व छठ के लिए फल बाजार बिल्कुल तैयार है। सभी तरह के फल सब्जी मंडी में पहुंच गए हैं। इस महापर्व में फलों का विशेष महत्व है। ऐसे में सेब, संतरा, केला, अनार, अमरूद, शरीफा, नाशपाती, ईख, नारियल, कुसिया मटर, सुथनी, लौंग, इलायची, अकरपात, नींबू, शकरकंद, सीताफल के दाम आसमान छू रहे हैं।

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छठ में विदेशी उत्पादों की नहीं दरकार

छठ की पवित्रता और संस्कार पर भूमंडलीकरण का असर नहीं पड़ा है। दिवाली में जहां चाइनीज बल्बों व पटाखों की धूम रहती है वहीं छठ में परंपरा और पवित्रता को महत्व दिया जाता है। इस पर्व में मिट्टी के चूल्हे, आम की लकड़ी, जांत में पीसे गए गेहूं का आटा, गुड़ और चावल का कोई दूसरा विकल्प नहीं चुनता। --------

हर फल भगवान के नाम

छठ व्रत के दौरान पवित्रता और संस्कार की झलक छठ व्रतियों के घर-आंगन में साफ दिखती है। मान्यता है कि हर फल-सब्जी भगवान सूर्य की देन है। प्रथम अ‌र्घ्य के दिन लोग बाजार से खरीद कर लाए फल तक सेवन नहीं करते। पहला हक सूर्य देव और उनके उपासकों का है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन का फल भगवान सूर्य देव के लिए है। उनकी पूजा संपन्न होने के बाद व्रतियों के पारण तक फल के सेवन से परहेज करते हैं।

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गंगा का जलस्तर घटने से चबूतरों की दूरी बढ़ी

त्रिवेणी घाट पर सोमवार को गंगा का जलस्तर घटने से व्रतियों द्वारा तैयार किए गए पूजन चबूतरे और गंगा की धारा के बीच दूरी बढ़ गई है। बुधवार छठ पूजा के रोज जलस्तर की स्थिति यही रही तो श्रद्धालुओं को पूजन में परेशानी आ सकती है। पिछले तीन दिनों से गंगा तट पर छठ पूजन से जुड़े श्रद्धालुओं ने गंगा की धारा को देखते हुए पूजन चबूतरे तैयार किए थे। तब गंगा की धारा चबूतरों के निकट थी। सोमवार को गंगा का जलस्तर घट गया जिससे धारा और पूजन चबूतरों की दूरी काफी बढ़ गई है। सार्वजनिक छठ पूजन समिति ने मुख्य घाट से अस्थायी धारा को पार करने के लिए स्वयं दो स्थानों पर अस्थायी पुलिया का निर्माण कराया है। जिसके जरिये श्रद्धालु गंगा की मुख्य धारा तक पहुंचेंगे। त्रिवेणी घाट में नवनिर्मित पंप हाउस के समीप क्षतिग्रस्त नाले में बहते सीवर का उपचार अब तक नहीं हुआ है। यह भी श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है।


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