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इस बार नौ दिन के हैं चैत्र नवरात्र, इस तरह करें पूजा

इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन के हैं। चैत्र नवरात्र 28 मार्च से शुरू होंगे और राम नवमी पांच अप्रैल को होगी। पूजा के लिए इन विशेष बातों का ध्यान भी रखना होगा।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 11:06 AM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 05:07 AM (IST)
इस बार नौ दिन के हैं चैत्र नवरात्र, इस तरह करें पूजा
इस बार नौ दिन के हैं चैत्र नवरात्र, इस तरह करें पूजा

देहरादून, [जेएनएन]: चैत्र नवरात्र 28 मार्च से शुरू होंगे और राम नवमी पांच अप्रैल को होगी। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन के हैं। मंदिरों में नवरात्र को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। पूजा के लिए इन विशेष बातों का ध्यान भी रखना होगा। 

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आचार्य सुशांत राज ने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 28 मार्च को सुबह 8.27 बजे शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन सुबह 6.24 तक रहेगी। चैत्र नवरात्र के साथ ही नवसंवत्सर यानी हिंदू नववर्ष का शुभारंभ भी हो जाता है। 

ऐसे करें घटस्थापन 

पहले नवरात्र को घटस्थापन किया जाता है। सामान्य मिट्टी के बर्तन या ताम्र बर्तन में कलश की स्थापना कर सकते हैं। अखंड जोत करने वाले श्रद्धालु कलश स्थापना में दो नारियल, इसमें से एक कलश के ऊपर तथा दूसरा अखंड ज्योत के पास रखें। 

पहले मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें हरियाली के प्रतीक जौ बोएं। इसके बाद कलश को विधिपूर्वक स्थापित करें। मां की प्रतिमा स्थापित और पूजन करने से पहले भगवान गणेश का पूजन करें। प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

घटस्थापन का अभिजीत मुहूर्त: 28 मार्च को दोपहर 12.09 से 12.57 बजे तक 

इंद्रियों पर रखें नियंत्रण 

आचार्य संतोष खंडूड़ी के अनुसार उपवास में प्रत्येक दिन विभिन्न इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। इसमें शैलपुत्री का रूप वाणी पर नियंत्रण, ब्रह्माचारिणी का रूप ब्रह्माचर्य का पालन करना, चंद्रघंटा का रूप सच्ची व स्वच्छ बातों का श्रवण करना, कुष्मांडा का रूप भोजन आदि पर नियंत्रण, स्कंदमाता का रूप नेत्र पर नियंत्रण, कात्यायनी का रूप विचारों में नियंत्रण करना सिखाता है। 

कालरात्रि के रूप में माता भक्तों को काल पर नियंत्रण करने, महागौरी व्रती के अहंकार की प्रवृति समाप्त करने और सिद्धिदात्री के रूप में माता हर कार्य सिद्ध करने का आशीर्वाद देती है। 

हनुमान जयंती महोत्सव चार अप्रैल से 

श्री सिद्ध हनुमान मंदिर श्री बालाजी धाम झाझरा में हनुमान जयंती महोत्सव चार अप्रैल से शुरू होगा, जो 11 अप्रैल तक चलेगा। पहले दिन कलश पूजन के साथ ही रामचरितमानस का पाठ शुरू होगा। पांच अप्रैल यानी रामनवमी को रामचरितमानस पाठ का समापन होगा। 

सात अप्रैल को शिव-सती विवाह उत्सव मनाया जाएगा। सुबह नर्मदेश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना होगी और शाम को शिव कथा और संकीर्तन होगा। आठ अप्रैल को भव्य शिव बरात निकाली जाएगी और नौ अप्रैल को नृत्य और झांकियों की प्रस्तुति होगी। 

10 अप्रैल को हनुमान जयंती की पूर्व संध्या पर भक्ति एवं हास्य रस कवि सम्मेलन होगा। 11 अप्रैल को हनुमान जयंती पर विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना, रुद्रार्चन, रुद्राभिषेक, चौला समर्पण के करने के साथ संकटमोचन यज्ञ होगा।

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