Move to Jagran APP

देहरादून के मास्टर प्लान में पकड़ा अवैध निर्माण का खेल

दून घाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) के मास्टर प्लान में लैंडयूज का बड़ा खेल सामने आया है। जो मास्टर प्लान स्वीकृति को शासन को भेजा, उसमें वहां का लैंडयूज बदल दिया।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 21 Oct 2016 12:47 PM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 02:30 AM (IST)
देहरादून के मास्टर प्लान में पकड़ा अवैध निर्माण का खेल

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: दून घाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) के मास्टर प्लान में लैंडयूज का बड़ा खेल सामने आया है। टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट ने जो मास्टर प्लान स्वीकृति के लिए शासन को भेजा है, उसमें अवैध निर्माण की प्रकृति के हिसाब से ही वहां का लैंडयूज (भू-उपयोग) बदल दिया गया।
ऐन वक्त पर सचिव आवास आर मीनाक्षी सुंदरम ने इस गोलमाल को पकड़ लिया और मास्टर प्लान को वापस टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट को लौटा दिया। अब संशोधन के बाद दोबारा इसे शासन को भेजा जाएगा।

loksabha election banner

पढ़ें-उत्तराखंड में यदि बिजली कटौती हुई तो मॉडम बताएगा हकीकत
सचिव आवास आर मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार भू-उपयोग के विपरीत निर्माण पर साडा ने कमर्शियल श्रेणी के करीब 200 निर्माण का चालान किया है और उन पर नियमानुसार कार्रवाई चल रही है। वहीं, जब मास्टर प्लान स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया तो उसमें निर्माण की प्रकृति के अनुसार ही लैंडयूज पाया गया।
इस विरोधाभासी स्थिति को भांपते हुए सचिव आवास ने प्लान को वापस लौटा दिया। सचिव सुंदरम ने बताया कि इस 'रहमदिली' से संबंधित निर्माणकर्ता लैंडयूज परिवर्तन का शुल्क भी जमा नहीं कराते। अब बिना लैंडयूज शुल्क जमा कराए उनके निर्माण वैध नहीं हो पाएंगे।
इस तरह के बड़ी संख्या में मामले शिक्षण संस्थानों के हैं। ये संस्थान कृषि भूमि पर खड़े हैं और इनकी निर्माण की प्रकृति के अनुसार ही शैक्षणिक में इनका लैंडयूज कर दिया गया था।

पढ़ें-उत्तराखंड में नशे की खेती पर अब शासन लगाएगा रोक
वर्तमान में साडा क्षेत्र में सात हजार से अधिक अवैध निर्माण के मामले प्रकाश में आ चुके हैं। यदि इनके अनुसार लैंडयूज परिवर्तन कर मास्टर प्लान पास कर दिया जाता तो अनियोजित निर्माण को बढ़ावा मिलने के साथ ही सरकार को राजस्व की भी अच्छी-खासी चपत लग जाती।
पांच साल पीछे चल रहा मास्टर प्लान
साडा का मास्टर प्लान वर्ष 2011 से 2031 तक के लिए है। अभी तक मास्टर प्लान को स्वीकृति नहीं मिल पाई है। धरातलीय स्थिति की बात करें तो साडा के क्षेत्र में अवैध निर्माण की बाढ़ सी आ गई है। मास्टर प्लान में जितना विलंब होगा, संबंधित भूपयोग के हिसाब से सुनियोजित निर्माण में उतनी ही बाधाएं खड़ी होती चली जाएंगी।
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के मास्टर प्लान में भी यही चुनौती सामने आई। मास्टर प्लान तब धरातल पर उतर पाया, जब धरातल पर निर्माण की स्थिति लैंडयूज से भिन्न हो गई।

पढ़ें: उत्तराखंड का एक गांव ऐसा जो खुद बना मॉडल, दूसरों के लिए नजीर
सुनियोजित विकास पर सवाल
दून शहर के स्वरूप में सुधार की गुंजाइश बेहद कम है। वहीं, शहर में अधिकतर निर्माण अब हो चुके हैं और बाहरी क्षेत्रों में की तरफ शहर विस्तार कर रहा है। दून के बाहरी इलाकों में अनियोजित हालात पैदा न हों, इसी को देखते हुए मास्टर प्लान को अमल में लाया जा रहा है। यह तभी हो पाएगा, जब लैंडयूज के हिसाब से ही दून का विस्तार हो।
साडा मास्टर प्लान पर एक नजर
कुल क्षेत्रफलः 16393 हेक्टेयर
सेक्टर: बारह
हालिया आबादी: 442312
हालिया भवन: 88462
2031 तक आबादी: 1488964
2031 तक भवन: 297739
पढ़ें-उत्तराखंड में अब आधार कार्ड से लिंक होगा ड्राइविंग लाइसेंस


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.