रावत सरकार मजबूत या भाजपा, आज होगा तय
राज्य ब्यूरो, देहरादून
प्रदेश की जनता ने सरकार की स्थिरता और मजबूती को तवज्जो दी या भाजपा को लोकसभा चुनाव की तर्ज पर कामयाबी, शुक्रवार को प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजों से यह साफ हो जाएगा। मतदाताओं के फैसले को लेकर सिर्फ सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्ष भाजपा ही नहीं, बल्कि सरकार के सहयोगी दलों बसपा, उक्रांद और निर्दलीयों का संयुक्त मोर्चा पीडीएफ भी टकटकी बांधे हैं। सरकार और सत्तारूढ़ संगठन की अंदरूनी सियासत के नजरिए से भी नतीजों को अहम माना जा रहा है।
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले प्रदेश की हरीश रावत सरकार के भविष्य को लेकर लगाई जा रही अटकलें थमेंगी या जोर पकड़ेंगी, माना जा रहा है कि इसका फैसला काफी हद तक विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से हो जाएगा। विधानसभा में बहुमत के लिहाज से कांग्रेस पीछे है। मौजूदा समय में पार्टी के 32 विधायक हैं। उसे सरकार बनाने के लिए बसपा के दो निलंबित विधायकों समेत तीन विधायकों, उक्रांद के एक विधायक और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। एक मनोनीत विधायक को भी शामिल किया जाए तो सरकार के पास 40 विधायक हैं। बीती 21 जुलाई को तीन विधानसभा सीटों धारचूला, सोमेश्वर और डोईवाला के लिए हुए मतदान का नतीजा शुक्रवार को आना है। धारचूला सीट से मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद उम्मीदवार हैं, जबकि शेष दो सीटें पहले भाजपा के कब्जे में रही हैं। तीनों सीटों पर नतीजे कांग्रेस के अनुकूल रहे तो उसके विधायकों की संख्या बढ़कर 35 हो जाएगी। पार्टी बहुमत से सिर्फ एक कदम दूर रहेगी। सरकार की स्थिरता के लिए अहम माने जा रहे इस उपचुनाव में पार्टी इसी मुद्दे को आधार बनाकर जनता के बीच गई है।
कांग्रेस के रणनीतिकारों के मुताबिक तीन सीटें जीतने पर बाहरी और अंदरूनी दोनों मोर्चो पर सरकार की स्थिति मजबूत हो सकेगी। लोकसभा चुनाव से पहले कद्दावर नेता सतपाल महाराज के कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद से सरकार की स्थिरता का मुद्दा गाहे-बगाहे गरमाता रहा है। नतीजे पक्ष में रहे तो पीडीएफ पर सरकार की निर्भरता कम होगी तो मुख्यमंत्री हरीश रावत पार्टी के भीतर दबाव के बीच मजबूती से उभर सकते हैं।