उत्तराखंड में लावारिश शवों के दाह संस्कार का बजट अपर्याप्त
प्रमुख सचिव से आयोग ने अपेक्षा की है कि लावारिश शवों के अंतिम संस्कार की धनराशि में बढ़ोत्तरी करने के साथ ही समाज कल्याण विभाग के बजाय सीधे पुलिस को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
By Gaurav KalaEdited By: Published: Sat, 25 Feb 2017 11:57 AM (IST)Updated: Sun, 26 Feb 2017 07:30 AM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: लावारिश शवों के दाह संस्कार के लिए 2500 रुपये के बजट को सूचना आयोग ने अपर्याप्त माना है। राज्य सूचना आयुक्त राजेंद्र कोटियाल ने एक अपील की सुनवाई में यह मत व्यक्त करते हुए आदेश की प्रति प्रमुख सचिव गृह को भेजी है। प्रमुख सचिव से आयोग ने अपेक्षा की है कि लावारिश शवों के अंतिम संस्कार की धनराशि में बढ़ोत्तरी करने के साथ ही इसे समाज कल्याण विभाग के बजाय सीधे पुलिस को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
यह अपील आरटीआइ कार्यकर्ता भूपेंद्र कुमार ने दायर की थी। उन्होंने पुलिस मुख्यालय से पांच अक्तूबर 2015 को लावारिश शवों के दाह संस्कार को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। मुख्यालय ने सूचना एकत्र करने के लिए आवेदन पत्र राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों को अंतरित कर दिया था।
तय समय के भीतर पर्याप्त सूचना न मिलने पर भूपेंद्र कुमार ने आयोग में अपील की थी। सुनवाई में पता चला कि लावारिश शवों के अंतिम संस्कार के लिए अलग से कोई बजट नहीं होता बल्कि इसके लिए समाज कल्याण विभाग से अनुदान मिलता है, जो 500 रुपये प्रति शव है।
आयोग को यह भी पता चला कि बजट के अभाव में लावारिश शवों का अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार विधि-विधान से नहीं हो पाता। इस पर सूचना आयुक्त राजेंद्र कोटियाल ने समाज कल्याण के निदेशक को समतुल्य लोक सूचनाधिकारी मानते हुए जवाब मांगा। समाज कल्याण निदेशक ने बताया कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए 500 की जगह 2500 रुपये का प्रावधान कर दिया गया है।
2500 रुपये से भी अधिक खर्च
सूचना आयुक्त कोटियाल ने आयोग से अंतिम संस्कार के लिए जारी होने वाली धनराशि की समीक्षा की तो पाया कि ङ्क्षहदू धर्म में एक शव के दाह संस्कार में 3.5 कुंतल लकड़ी लगती है, जबकि अन्य धर्म के अनुयायियों का लावारिश शव मिलने पर दफन करने का प्रावधान है, इन दोनों व्यवस्थाओं के लिहाज से 2500 रुपये बेहद कम हैं।
उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य में कई बार शव ऐसे स्थानों से प्राप्त होते हैं, जहां से उन्हें पोस्टमार्टम हाउस व श्मशान घाट तक लाने के लिए अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। इसमें 2500 रुपये से अधिक राशि खर्च होती है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें